मजलिसो मातम का गवाह बना बड़ा इमामबाड़ा मीरानपुर
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अंबेडकरनगर। जनपद में हजरत इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम सहित कर्बला के 72 शहीदों का चेहल्लुम शांति व सौहार्दपूर्ण वातावरण में मंगलवार को संपन्न हुआ। अजादारों ने नम आंखों से उन्हें याद किया। रह-रह कर लब्बैक या हुसैन के गगनभेदी नारे गूंजते रहे।
शहीदों के चेहल्लुम की पूर्व संध्या पर जिला मुख्यालय अकबरपुर व जलालपुर में सोमवार को अनेक स्थानों पर देर रात तक मजलिस-मातम का सिलसिला जारी रहा। यह दूसरा वर्ष है जब कोरोना संक्रमण महामारी के चलते सार्वजनिक रूप से मातमी जुलूस नहीं निकाले गए। घरों और इमामबाड़ों में शब्बेदारी,
मजलिस, मातम, नौहाखानी, सीनाजनी, सोज व सलाम का सिलसिला जारी रहा।
नगर के अब्दुल्लाहपुर में अंजुमन हैदरिया, लोरपुर ताजन में अंजुमन हुसैनिया, मासूमिया, जाफरिया, अब्बासिया, गदायां में अंजुमन पंजतनी की ओर से कोविड-19 का पालन करते हुए रंजोगम का इजहार किया गया। वहीं मोहल्ला मीरानपुर बड़ा इमामबाड़ा प्रमुख रूप से मजलिसो मातम का गवाह बना। अंजुमन अकबरिया की देखरेख में सिरौली सुल्तानपुर, दहियावर, अब्दुल्लाहपुर के मातमी दस्तों ने इमाम के गम में आंसू बहाए। मौलाना मोहम्मद अब्बास रिजवी, मौलाना नूरूल हसन रिजवी, मौलाना इंतेजार मेहदी व मौलाना असगर मेहदी आजमी ने खिताब करते हुए कर्बला के पैगाम को आम किया। कोरोना महामारी के समूल नाश के साथ ही राष्ट्र कल्याण और प्राणियों में सद्भावना के लिए सामूहिक प्रार्थना की गई।