बसपा की बेवफ़ाई से जनपद के कद्दावर नेताओं को अपना घर याद आया ….
1 min readबसपा की बेवफ़ाई से जनपद के कद्दावर नेताओं को अपना घर याद आया ….
कभी बेनी बाबू व मुलायमसिंह यादव की सरपरस्ती में सियासत का ककहरा सीखने वालों के लिए आज अखिलेश यादव बने पनाहगार ..
विनोद वर्मा / विजय चौधरी
अम्बेडकरनगर। सियासत की एक लम्बी पाली खेल चुके जनपद के दो कद्दावर नेता आज बसपा के बेवफाई का शिकार हो चलें हैंं । सिंगल मैन पार्टी बन चुकी बसपा संगठन के मामले में यदि बेहतर रही तो गहरी पैठ रखने वालों को उखाड़ कर फ़ेंका भी गया है ।प्रदेश में बसपा के सीट की खाता खोलने वाले स्व .राम लखन वर्मा को भी नहीं बक्शा इसकी लम्बी फेहरिस्त है । जिसके शिकार अम्बेडकर नगर जनपद के दो कद्दावर नेता राम अचल राजभर व लालजी वर्मा पुनः हुए । पार्टी के स्थापना काल से जुड़े उक्त द्वय नेताओं को बेबुनियाद आरोपों का तोहमत लगाकर पार्टी से निष्कासित कर दिया गया । जैसा कि इन नेताओं का आरोप है । अपने निष्कासन के उपरान्त सियासी दांव पेंच में मजे इन खिलाड़ियों ने कड़ी मेहनत कर जनता की नब्ज व अपना खोया जनाधार जनता के बीच खोजना शुरू कर दिया । साथ ही अपने सियासी मुक़ाम को भी टटोलते रहे । चुकीं शुरू से ही पिछड़ों , दलितों की राजनीति कर रहे इन नेताओं को अखिलेश यादव ही काफी मुफ़ीद दिखायी दे रहें हैंं । इनका अखिलेश यादव के प्रति बढ़ते रुझान से लगभग स्पष्ट हो चला है कि सपा ही इनके पसन्द की सियासी मुक़ाम बनेगी ।
इस तरह से कभी किसान के मसीहा रहे चौधरी चरण सिंह के नीतियों से प्रभावित होकर अपने राजनैतिक ककहरा शुरू करने वाले आज अन्तर प्रान्तीय कद्दावर नेता लालजी वर्मा व राम अचल राजभर ने आज पुनः अपने पुराने घर की तरफ़ वापसी का रुख कर लियें हैंं । जिसे तत्समय चौधरी चरण के राजनैतिक उत्तराधिकारी माने जा रहे मुलायमसिंह यादव ने अभीतक महफ़ूज़ रखा है । अन्तर सिर्फ इतना है कि दल के मुखिया आज मुलायमसिंह यादव नहीं उनके पुत्र अखिलेश यादव हैंं । उक्त द्वय नेताओं का शामिल होना लगभग तय हो गया है । मात्र औपचारिक घोषणा बाकी है । इसके लिए भी सारी तैयारी युद्धस्तर पर चल रही है । सम्भावना व्यक्त की जा रही है सपा सुप्रीमो के जनपद आगमन पर शक्ति प्रदर्शन कर सपा के हमराह होगें । सम्भवतः स्थल भी वही होगा जहाँ से बसपा सुप्रीमो मायावती ने जनपद के नाम की घोषणा की थीं । पर बदलते राजनैतिक परिवेश में ए नेता द्वय सियासी महाभारत के जयचन्दों व भीष्मपितामह से खुद को कितना महफ़ूज़ रख सकेंगे ? यह तो समय ही बता सकेगा ।