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विभागीय उपेक्षा के कारण दो तरफ़ा मार झेलने को मजबूर हो चला है क्षेत्र का नहर से सिंचाई करने वाला किसान …

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विभागीय उपेक्षा के कारण दो तरफ़ा मार झेलने को मजबूर हो चला है क्षेत्र का नहर से सिंचाई करने वाला किसान …

जहाँ हेड का किसान जलप्लावन से बरबाद हो रहा है वहीं टेल पर नहीं पहुंच सका अभी तक पानी , कैसे करें किसानी ?

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सिल्ट व झाड़ियों से पटी पड़ी है नहर के रजवाहे …

फ्री सिंचाई बनी बेईमानी …

(फोटो- झाड़ियों से पटी पड़ी नहर)

विजय चौधरी / सह संपादक

अम्बेडकरनगर। जनपद से निकली शारदा सहायक नहर अपने मुख्य उद्देश्य से पूरी तरह भटक चुकी है । विभागीय उपेक्षा के कारण जहाँ हेड का किसान जलप्लावन से बरबाद हो रहा है वहीं टेल के किसानों को अभीतक पानी ही नसीब नहीं हो सका है ।जबकि प्रतिवर्ष कागजों में सफाई कर लाखों रुपये सिल्ट व झाड़ियों की सफाई के नाम पर सरकार को चूना लगाया जा रहा है ।पर हक़ीक़त ठीक इसके विपरीत है । जनपद के विधानसभा कटेहरी के उत्तरी छोर पर निकले माइनर पिलखावा व अहिरौली सर्वदा अपना औचित्य खो चुकी है ।क्षेत्रीय किसानों का आरोप है इन माइनर में पानी हमेशा किसानों के बरबादी का ही कारण बना है । खरीफ फसल की सत्र बीतने को है पर अभीतक टेल के किसानों को माइनर में पानी नहीं मिल सका है । जबकि धान की फसल को सिंचाई करने के लिए किसानों के लिए इस समय पानी की महती आवश्यकता है। लेकिन नहर विभाग के उदासीनता के चलते जहां नहरों में पानी होना चाहिए वहां वह झाड़ियों से पटी पड़ी है। टेल पर स्थित दर्जनों किसानों ने माइनर की सफाई और पानी को लेकर चिन्तित हैंं । पीड़ित किसानों द्वारा लगातार विभाग के जेई को दूरभाष के जरिये जानकारी समय समय पर दी गयी फिर भी ना तो विभाग और ना ही इससे संबंधित अधिकारी द्वारा इस पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है।
यही हाल खजावा माइनर से निकली फत्तेपुर टीकमपारा माइनर की है। इस माइनर की भी सफाई अभीतक नहीं हो पाने से पूरी माइनर बड़ी बड़ी झाड़ियों व सिल्ट से पटी पड़ी है । किसानों को इस समय अपनी धान की फसल के सिंचाई करने के लिए पानी की आवश्यकता है। सूखी पड़ी माइनर से कैसे अपने धान की सिंचाई कर सकेगा किसान ? सूचना के उपरान्त भी उच्च अधिकारी द्वारा इस समस्या पर कभी भी ध्यान नहीं दिया जाता। जबकि इस माइनर पर जर्जर पुलिया कई वर्षों से अपनी दुर्दशा पर आंसू बहा रही है।

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