कलम का एक सच्चा सितारा ,जिन्दादिल वरिष्ठ पत्रकार सुनील श्रीवास्तव गम्भीर बीमारी के चलते जिन्दगी का जंग हार बैठा ….
1 min readकलम का एक सच्चा सितारा ,जिन्दादिल वरिष्ठ पत्रकार सुनील श्रीवास्तव गम्भीर बीमारी के चलते जिन्दगी का जंग हार बैठा ….
मीडिया जगत हुआ स्तब्ध तो समाज सेवियों ने भी जताया गहरा दुःख …
आपकी पैनी लेखनी का कोई सानी नही रहा……….
विनोद वर्मा / विजय चौधरी
(फाइल फोटो वरिष्ठ पत्रकार सुनील श्रीवास्तव)
अम्बेडकरनगर। जनपद ने मीडिया जगत के एक उदीयमान सितारे को असामयिक खो देने से हतप्रभ हो ग़मगीन हो चला है । जिले के वरिष्ठ पत्रकार सुनील कुमार श्रीवास्तव का लम्बी बीमारी के चलते अंततः गुरुवार को निधन हो गया । उन्होंने लखनऊ के अपोलो हास्पिटल में आज अन्तिम सांस ली । लीवर की बीमारी से जूझ रहे सुनील का काफी समय से इलाज़ चल रहा था । बीते पखवारे स्वास्थ्य में भारी गिरावट के कारण उन्हें पहले ग्लोबल हास्पिटल लखनऊ में में भर्ती कराया गया पर उनके स्वास्थ्य में सुधार नहीं होने से छोटे भाई सुधीर श्रीवास्तव द्वारा अपोलो में भर्ती कराया गया । जिन्दगी और मौत से हरपल संघर्ष कर कई दिनों कोमा का सफ़र कर रहे सुनील ने अंततः अपनी बाजी हार गये और काल के गाल में समा गये ।
इस विषम परिस्थिति में कदम कदम पर अपना दायित्व का निर्वहन कर रहे छोटे भाई सुधीर ने बताया कि उन्हें होश में लाने हेतु उच्च शल्य क्रिया भी हुई , पर सफलता नहीं मिल सकी ।
एक कुलीन व शिक्षित परिवार में जन्मे जनपद मुख्यालय के उसरहवा मुहल्ले के रहने वाले सुनील श्रीवास्तव की शिक्षा दीक्षा बी एन इण्टर कालेज अकबरपुर से शुरू हुई और यहीं की गलियों में पले और बढे जिससे सभी से उनका गहरा नाता रहा । मीडिया जगत में एक लम्बे अरसे तक दैनिक जागरण जैसे अख़बार के चीफ़ ब्यूरो रहे सुनील श्रीवास्तव के निर्भीक व बेबाक लेखनी का कोई सानी नहीं रहा । अपनी लेखनी के बदौलत उन्होंने मीडिया जगत में वह मुक़ाम हासिल किया जो हर किसी के लिए सम्भव नहीं है । अपराध जगत के कुशल विश्लेषक के कारण अधिकारी व अन्य अन्य पत्रकार उनके क़ायल हुआ करते थे ।
उनके इस आकस्मिक निधन से पत्रकारिता जगत में शोक की लहर दौड़ गयी साथ ही अन्य सामाजिक संगठनों व समाजसेवियों द्वारा शोक संवेदनायें दी जा रहीं हैंं । जिसका सिलसिला अभी भी अनवरत जारी है । उनकी जिन्दादिली और अपनों के लिए हर स्तर पर संघर्ष का जज़्बा लोगों की पलकें भिगो देने को आज बाध्य कर रहीं हैंं ।