जनसंख्या नियंत्रण पर सबकी भागीदारी आवश्यक : डा. सुमन प्रसाद मौर्य
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लखनऊ। हर वर्ष 11जुलाई को जनसंख्या दिवस के रूप में मनाया जाता है, क्योंकि जनसंख्या का प्रभाव प्रमुख रूप से देश के विकास और उसके कार्य संचालन पर पड़ता है । विश्व की जनसंख्या तेजी से बढ़ रही है । आंकड़े बताते हैं विश्व की आबादी को एक अरब होने में 1000 वर्ष लगे थे, किंतु मात्र 200 वर्षो में जनसंख्या 7 गुना हो गया । 2011 में किए गए जनगणना के अनुसार विश्व की जनसंख्या 7. 7 अरब थी जबकि भारत की जनसंख्या 2011 में ही एक अरब 25 करोड़ थी जिसके साथ भारत विश्व का दूसरा बड़ा जनसंख्या वाला देश हो गया। देश की बढ़ती जनसंख्या के साथ बड़ी चुनौतियां भी बढ़ती जाती हैं । जनसंख्या बढ़ने की कई कारण है जिसमें प्रमुख कारण देश की प्रजनन आयु के व्यक्तियों की बढ़ती संख्या और जन्म दर मृत्यु दर से अधिक होना है । जनसंख्या पर माल्थस ने कहा है कि जनसंख्या जब भी बे रोक बढ़ती है तो वह गुणोत्तर प्रगति करती है और खाद्य उत्पादन अंकगणितीय प्रगति करता है। भारत में दुनिया की 1/5 वी जनसंख्या दुनिया की 2.4 % भूमि पर रहती है । ऐसे में जनसंख्या का नियंत्रण एक गंभीर विषय बन जाता है। देश की जनसंख्या की बढ़ने से सबसे बड़ी चुनौती देश की जनता को रोटी, कपड़ा और मकान जैसी मूलभूत आवश्यकताओं की पूर्ति के साथ – साथ अन्य विकास के आवश्यकताएं जैसे यातायात व्यवस्था, स्वास्थ्य सुविधाएं, शिक्षा, आजीविका आदि देना है। यदि संसाधनों मे उचित व्यवस्था हर मानस को उपलब्ध हो तो जनसंख्या की समस्या नहीं होगी। किंतु अभी आदर्श स्थिति नहीं है । खाद्यान्न एवं अन्य संसाधन जनसंख्या में बट जाते हैं और प्रति व्यक्ति उपलब्धता कम हो जाती है और जीवन स्तर पर असर होता है। अधिक जनसंख्या अर्थात प्राकृतिक संसाधनों का भरपूर दोहन, जिससे भविष्य की पीढ़ी पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है। आबादी बढ़ने के साथ जनसंख्या घनत्व बढ़ाती है ऐसे में जनसंख्या नियंत्रण आवश्यक है। पहले नारा था दो या तीन बच्चे होते है घर मे अच्छे।।
फिर नारा हुआ , हम दो हमारे दो।
अब हम दो ,हमारा एक होना चाहिए। ग्रामीण क्षेत्रो मे अभी काफी जागरूक करने की आवश्यकता है।
डा.सुमन प्रसाद मौर्य, अध्यक्ष, मानव विकास एवं पारिवारिक अध्ययन सामुदायिक विज्ञान महाविद्यालय, आचार्य नरेन्द्र देव कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय कुमारगंज अयोध्या।