सांसों को बचाना है तो करें वृक्षारोपण; कल के लिए आज ही बचाएं जल : डा ओ पी चौधरी
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वाराणसी। आज 10 जून, वट सावित्री व्रत के अवसर पर आज श्री अग्रसेन कन्या पी जी कॉलेज वाराणसी के परमानंदपुर परिसर में पर्यावरण स्नेही एवम् नेपाल द्वारा पर्यावरण योद्धा सम्मान से सम्मानित, डा धर्मेंद्र कुमार सिंह, पटना (बिहार) द्वारा संस्थापित पीपल नीम तुलसी अभियान से जुड़े मनोविज्ञान विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डा ओ पी चौधरी ने पेड़ों में दूसरे स्थान पर सबसे ज्यादा ऑक्सीजन उत्सर्जित करने वाले और भारतीय संस्कृति में अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त राष्ट्रीय वृक्ष बरगद का रोपण किया और बताया कि सांसों के लिए प्राण वायु देने वाले बरगद को ही वट वृक्ष के नाम से भी जाना जाता है।आज ज्येष्ठ की अमावस्या के दिन महिलाएं वट सावित्री व्रत रखकर पति के दीर्घायु होने की प्रार्थना करती हैं।राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जी ने प्रकृति को ही ईश्वर माना है,और प्रकृति के संरक्षण पर जोर दिया है। पीपल,नीम,तुलसी,शमी,केला आदि की पूजा हिंदू धर्म में की जाती है,लेकिन इसमें बरगद के पेड़ का भी काफी महत्व है। वृक्षों के महत्व के बारे में बताते हुए डा चौधरी ने कहा कि पेड़ पौधे या समूची प्रकृति हमारे स्वस्थ जीवन के लिए अत्यंत आवश्यक है। आज हम इस कोविड -19 के दौर में जितना अधिक प्रकृति के नजदीक रहेंगे,उतना ही ज्यादा स्वस्थ एवम् प्रसन्न रहेंगे।
आज ही भूगर्भ जल दिवस भी है। जल जीवन के लिए अत्यंत जरूरी है। प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण हमारा पुनीत दायित्व है।साथ ही स्वच्छ जल उपलब्ध कराना एक बड़ा उत्तरदायित्व है साथ ही जल स्रोतों का संरक्षण करना होगा और अत्याधिक पानी के दोहन से बचना होगा, तभी हमारा कल सुरक्षित रहेगा, भावी पीढ़ी भी प्रकृति प्रदत्त इस अनमोल खजाने का उपयोग कर सकेगी। जल संकट की वृद्धि से हमारा जीवन प्रभावित हो रहा है,लेकिन केवल सरकार ही दोषी नहीं है,समाज की उदासीनता भी जिम्मेदार है। आज नदियां नाले के आकार की होती जा रही हैं,ताल तलैया,पोखर,नाले सभी सूखते जा रहे हैं।राष्ट्रीय जल नीति 2012 के क्रियान्वयन की जरूरत है। जल भंडारण के बगैर जल समस्या दूर नहीं हो सकती है। इसलिए भूगर्भ जल दिवस पर हम सभी का दायित्व है जल संरक्षण के लिए दृढ़ प्रतिज्ञ हों।
इस अवसर पर छविनाथ,सुनील,शमशेर, इजहार, बेचू राम वर्मा, आदि उपस्थित रहे,सभी ने पर्यावरण एवं जल संरक्षण हेतु अपनी प्रतिबद्धता दुहराई।
लेखक…. डा ओ पी चौधरी
पर्यावरण स्नेही,संरक्षक अवधी खबर, एसोसिएट प्रोफेसर मनोविज्ञान विभाग,
श्री अग्रसेन कन्या पी जी कॉलेज वाराणसी