सड़कों पर धड़ल्ले से दौड़ रही काली फिल्म लगी गाड़ियां, प्रशासन मौन
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अम्बेडकरनगर। सड़कों पर काली फिल्म लगे वाहन बेरोकटोक दौड़ते देखे जा सकते हैं। इन वाहनों को देखकर लगता है मानों इन्हें किसी का डर नहींं। बात यही आती है कि कार्रवाई नहीं होती तो डरें भी क्यों? सड़कों पर यातायात पुलिस द्वारा हैलमेट, लाइसेंस व रजिस्ट्रेशन के कागजात देखे जाते हैं लेकिन काली फिल्म की ओर ध्यान नहीं देते। लग्जरी कारों में काले ग्लासों का उपयोग धड़ल्ले से हो रहा है। इसमें ज्यादातर रसूखदार लोग शामिल है। प्रशासन भी इन्हें हटाने में नाकाम है। सुप्रीम कोर्ट के सख्त आदेश के बावजूद जिले में नही हो रही कार्रवाई। आपको बता दें इस पर राज्य सरकारों द्वारा मुहिम भी चलाई गई लेकिन उस आदेश का असर कहीं देखने को नहीं मिला।
भारत सरकार ने वीआईपी कल्चर समाप्त करने प्रशासनिक व राजनैतिक उपयोग के वाहनों से लाल, पीली और नीली बत्ती हटाने के निर्देश दिए। गजट नोटिफिकेशन में पास भी हुआ। प्रशासनिक व राजनैतिक वाहनों से बत्तियां हटा दी गई। हूटर पुलिस के वाहन या एम्बुलेंस में लगा होता था। हूटर की आवाज सुनकर लोग समझ जाया करते थे एंबुलेंस आ रही है या पुलिस का वाहन होगा। लोग साइड भी दे देते थे लेकिन निजी वाहनों में हूटर लगाने का चलन तेजी से बढ़ रहा है। कई प्रकार के लग्जरी वाहनों, कारों, और टू-व्हीलर में हूटर का प्रयोग किया जा रहा है। इससे भीड़ में पता ही नहीं चलता कि किसका वाहन है। कार्यवाही के दौरान जो पकड़ में आ जाता है। प्रशासनिक अमला उसका चालान बना देता है। इनमें से कुछ ऐसे भी होते है जो सत्ता, नेता या उच्च अधिकारियों का रोब दिखा छूटने का प्रयास करते है। मजे की बात यह है कि पिछले दिनों एक स्कार्पियो सवार व्यक्ति ने ट्रैफिक नियमो को दरकिनार कर उल्टी साइड से गाड़ी को ले जा रहा था जब टी एस आई ने उसे रोका तो वह सत्ताधारी जिलाध्यक्ष को फोन कर गाली गलौज पर आमादा हो गया था। जिसकी शिकायत टी एस आई ने पुलिस अधीक्षक से भी क्या था। परन्तु वहां भी सत्ताधारियों का दबदबा हाबी रहा।