भौतिकवादी जीवन शैली और हमारा मानसिक स्वास्थ्य : डॉ ओ पी चौधरी
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वाराणसी। श्री अग्रसेन कन्या पी जी कॉलेज वाराणसी के मनोविज्ञान विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ ओ पी चौधरी का मानना है कि वर्तमान परिवेश में भौतिकवादी सोच और जीवन शैली के कारण लोगों के मानसिक स्वास्थ्य में गिरावट आई है। विश्व स्वास्थ्य संगठन की एक रिपोर्ट के मुताबिक 87 प्रतिशत बीमारियां मनोवैज्ञानिक हैं, और आने वाले दशक में सम्पूर्ण जनसंख्या का एक तिहाई भाग किसी न किसी रूप में मानसिक तनाव, चिन्ता व अवसाद से प्रभावित होगा। हर जगह काफी संघर्ष व प्रतियोगिता है, जो मानसिक विकार उत्पन्न कर रही है।हमें स्वस्थ प्रतिस्पर्धा के साथ जीना चाहिए। और अपनी अनावश्यक जरूरतों को नजरंदाज करना सीखना होगा।आज की परिस्थिति में मानसिक स्वास्थ्य को समझना जरूरी है और उसके प्रति सजग भी रहना चाहिए। हमें अपने काम में तन्मयता और पूरी निष्ठा के साथ संलग्न रहना चाहिए। हम जिस समाज में रह रहे हैं, उसके प्रति उत्तरदायी होना चाहिए। हममें से हर छठा व्यक्ति मानसिक समस्या का सामना कर रहा है। मादक द्रव्यों से जुड़ी समस्या भी है जो विकृति पैदा कर रही है। कोविड-19 में हम बार-बार हाथ धोने के कारण,सेनेटाइजर का प्रयोग करने के कारण ओ सी डी नामक मनोविकृति के शिकार भी हो रहे हैं।मानसिक स्वस्थ्य की समस्या 30 से 50 वर्ष की आयु व फिर 60 वर्ष से ऊपर के वय वालों में ज्यादा है। केवल 70 प्रतिशत लोगों को ही मानसिक चिकित्सीय सुविधा उपलब्ध है, क्योंकि अभी मानसिक चिकित्सकों की कमी है। इसके सामाजिक व सांस्कृतिक कारण भी हैं। ‘वर्ल्ड फेडरेशन ऑफ मेन्टल हेल्थ’ नमक संगठन मानसिक स्वास्थ्य को बढ़ाने की दिशा में सार्थक पहल कर रहा है। मानसिक स्वास्थ्य को बढ़ाने के लिए हमें सभी वर्ग को साथ लेकर चलना होगा। रूढ़ियों व अज्ञानता के कारण अभी बहुत से मानसिक रोगी चिकित्सक के पास नहीं जाते हैं।हमें अपने आत्मसम्मान के साथ दूसरों के भी आत्मसम्मान का ध्यान रखना होगा। आज मानसिक स्वास्थ्य को भी एक प्रोडक्ट के रूप में हमारी आवश्यकता बता करके एक बड़ा बाजार बनाने का प्रयास किया जा रहा है, जो कि गलत है और नैतिक मूल्यों के खिलाफ है। मानव गरिमा को बचाते हुए हमें सभी के मानसिक स्वास्थ्य का ध्यान रखना है।
मानसिक स्वास्थ्य की दिशा में सरकारी प्रयास के साथ एन जी ओ की भूमिका भी महत्वपूर्ण है।आज पूरा विश्व मानसिक स्वास्थ्य को लेकर जागरूक हो रहा है और तनाव से दूर रहने का प्रयास कर रहा है, क्योंकि इससे कई शारीरिक समस्याएं उत्पन्न हो रहीहैं। वैसे प्रायः मानसिक अस्वस्थता का कारण व्यक्ति स्वयं होता है एवं उसका निदान भी उसी के पास होता है, बस जीवन शैली,खान-पान, रहन-सहन में थोड़ा परिवर्तन करना होता है। मानसिक स्वास्थ्य को उन्नत बनाये रखने हेतु भौतिकता की ओर से ध्यान हटाकर, योग,प्राणायाम,आध्यात्मिकता और भारतीय संस्कृति के प्राचीन धरोहरों की ओर उन्मुख होने की जरूरत है। अधिकारों के साथ हमें अपने कर्तव्यों का भी ध्यान रखना चाहिए,ताकि किसी के अधिकारों का हनन न हो। मानसिक रूप से स्वस्थ रहने के लिए जरूरी है कि हम अपने दायित्वों का निर्वहन बखूबी करें। स्वयं भी स्वस्थ रहे और दूसरों को भी मानसिक रूप से स्वस्थ रहने में सहयोग दें।
डॉ ओ पी चौधरी
एसोसिएट प्रोफेसर एवं विभागाध्यक्ष,मनोविज्ञान
श्री अग्रसेन कन्या पी जी कॉलेज वाराणसी।
मो:9415694678
Email: opcbns@gmail.com