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कोविड- 19 में बड़े प्राइवेट स्कूल आन लाइन के नाम पर फीस जमा करने के लिये बना रहैं हैं दबाव 

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कोविड- 19 में बड़े प्राइवेट स्कूल आन

लाइन के नाम पर फीस जमा करने के

लिये बना रहैं हैं दबाव 

अम्बेडकरनगर। परिधि सामाजिक विकास संस्थान अम्बेडकरनगर ने अपर जिलाधिकारी अम्बेडकरनगर को एक शिकायती प्रार्थना पत्र देकर आरोप लगाया कि जिले के महत्वपूर्ण संतपीटर , संत जॉन्स स्कूल आन लाइन क्लास के नाम पर फीस एडवांस वसूल रहे हैं । जबकि कोविड 19 की महामारी के चलते एल के जी से कक्षा 8 तक की कक्षाएं पूर्ण रूप से बंद हैं । फीस वसूली के लिए इन लोंगों ने बाकायदा मैसेज भेजते हुए फीस जमाकरने के बाद ही ऑनलाइन प्रश्नपत्र के उत्तरपत्रक देने की शर्त रखते हुए फीस जमा करवा रहे हैं । फीस काउंटर पर बिना कुछ जानकारी किये अपने पाल्यों के भविष्य को अच्छा बनाने के चक्कर मे कितने अभिभावक कर्ज लेकर लाइन में खड़े होकर फीस जमा करने लगे । परिधि सामाजिक विकास संस्थान की शिकायत पर अपर जिलाधिकारी अम्बेडकर नगर पंकज वर्मा ने जिला विद्यालय निरीक्षक विनोद सिंह से जॉच कराने के लिए निर्देशित किया। शिकायत और कार्यवाही से कई स्कूल अपने द्वारा प्रेषित मैसेज को डिलीट कर दिए हैं ।

अविभावक और स्थानीय अखबार स्वाभिमान राष्ट्र के संपादक अखिलेश दुबे कहते हैं कि विद्यालय कोविड 19 जैसी महामारी में परेशान अविभावकों की संवेदना को नहीं समझते ,सम्पूर्ण लाकडाउन के दौरान बच्चे स्कूल नहीं गए ,परंतु स्कूल शिक्षण शुल्क के अलावा जनरेटर, गेम, कम्प्यूटर, बिजली ,तथा अन्य खर्चों को जोड़कर भी फीस वसूल लिये । ऑनलाइन क्लासेज में अविभावकों ने लैपटॉप, मोबाइल ,रिचार्ज को लेकर परेशान है,वहीं दूसरी तरफ स्कूल बच्चों पर मानसिक दबाव अविभावक द्वारा दी गयी व्यवस्था से ही कर रहे हैं ।अविभावक व स्थानीय अखबार अवधी खबर के संपादक विनोद वर्मा कहते हैं कि एक तिहाई अविभावक आर्थिक रूप से टूट गए हैं ,कोरोना महामारी में सब कुछ बंद था , अविभावक के लिए फीस जुटा पाना मुश्किल हो गया है ,प्रबंध तंत्र अविभावक से मिलने और समस्या पर बात चीत करने को लेकर तैयार नहीं होता है । सवाल उठता है कि कोरोना महामारी से सभी जूझ रहे हैं ,फिर अकेले निचले स्तर के उपभोक्ताओं पर ही गाज क्यों गिर रही हैं । इस सवाल पर सरकार की व्यवस्था के पहरेदार भी गोल माल जबाब देकर चुप हो जाते हैं । परिधि न्यूज़ के संपादक ने जब यही सवाल संत पीटर स्कूल के प्रधानाचार्य से पूँछा, उन्होंने कहा कि अब कोई दबाव नहीं है, बच्चों को उत्तर पत्रक दिया जा रहा है।
वे आगे कहते हैं कि अधयापकों को वेतन दिया जा रहा है।लेकिन अविभावकों द्वारा मोबाइल रिचार्ज , कंपनियों के खराब नेटवर्किंग से जूझते छात्रों की मानसिक स्थिति पर पड़ रहे दबाव पर वे चुप हो गए।
कुहरा घना है,सदियों से सूरज उसे छांटते हुए निकलता है।लापरवाही में ही कुहरा अपने चपेट में लेता है । वास्तव में व्यवस्था कहीं लापरवाही की शिकार तो नहीं हो रही है।अविभावक वच्चों के भविष्य को लेकर सशंकित हैं। वहीं बच्चे ऑनलाइन पढ़ाई से असमय सर्वाइकल सपेंडिलाइट्स और नेत्र की रोशनी से भी जूझ रहे हैं । कम्प्यूटर,लैपटॉप, मोबाइल पर कंपनियों केअश्लीलता भरे विज्ञापन अविभावकों को सांसत में डाल रहे हैं ।

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