आरक्षण का तो अभी पता नहीं ! पर गलियां व बाजारें होर्डिंग से सजकर हो चुकीं हैंं तैयार ….
1 min readआरक्षण का तो अभी पता नहीं ! पर गलियां व बाजारे होर्डिंग से सजकर हो चुकीं हैंं तैयार ….
खैरमकदम व ख़ैरियत के सिलसिले में हुआ इजाफ़ा ….
विश्वनाथ वर्मा -विजय चौधरी /सह संपादक
अम्बेडकरनगर। ग्राम प्रधान का सत्र समाप्त होते ही त्री पंचायत चुनाव को लेकर लोगों में गहमागहमी लाजिमी है । जबकि अभी क्षेत्र पंचायत व जिला पंचायत कार्यकाल अपने अवसान पर जरूर है पर समाप्त नहीं हुआ है । फिर चुनावी समर में नये व पुराने नाविक अपनी पतवार लेकर उतर चुकें हैंं ।
चुनावी शंखनाद व आरक्षण को लेकर अभी तस्वीर बहुत साफ़ नहीं हो पायी है फिर भी गांवों की गलियां , बाज़ारों के किनारे एवं चौक व चौराहे इस बात की चुंगली करना शुरू कर दियें हैंं । पोस्टरों व होर्डिंग से गलियां व चौराहे सजना शुरू हो गयें हैंं । जबकि अभी यह प्रत्याशी खुद भी नहीं बता पा रहें हैंं कि वे किस क्षेत्र चुनाव लड़ रहें हैंं ? सबसे अधिक यह समस्या जिला पंचायत के भावी प्रत्याशियों के सामने आ रही है । फिर भी वर्तमान जनप्रतिनिधियों के कार्यकाल समाप्त होने से पहले ही सम्भावित प्रत्याशी मतदाताओं की नब्ज़ टटोलना शुरू कर दियें हैंं । इसमें क्षेत्र पंचायत व ग्राम पंचायत के दावेदार भी अब पीछे नहीं रहे । प्रत्याशी जनता का हितैषी साबित करने का कोई भी अवसर अब खोना नहीं चाह रहें हैंं । होर्डिंग , बैनर से लेकर हाईटेक हथियारों से भी पूरी तरह लैस हो चुकें हैंं !जहाँ वे वाट्सएप , फ़ेसबुक के जरिये अपनी दक्षता का ज्ञान बांट रहें हैंं वहीं नया वर्ष सहित अन्य आयोजनों में शरीक होकर अपने को असली हमदर्द होने का दावा कर रहें हैंं ।
चाय की दुकानें व गांवों की चौपालों पर इस समय गांवों को विकसित करने की नित नये गाथा गढ़ी जा रही है । इसके लिए कौन सा जनप्रतिनिधि सटीक होगा ? इसका भी मंथन किया जा रहा है । वहीं कुछ मतदाता इसमें भी अपने अवसर तलाशने से नहीं चूक रहें हैंं । शासन द्वारा आरक्षण तय कर देने पर कौन इस समर का सेनापति बनेगा ? यह अभी भविष्य के गर्भ में है फिर भी दावेदार मतदाताओं को लुभाने के लिए अभी से अपने तरकश से तीर फेंकना शुरू कर दियें हैंं ।