हिन्दी भारत के आत्म गौरव और अस्मिता भाषा है : प्रो० श्रद्धानन्द
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वाराणसी। श्री अग्रसेन कन्या पी०जी० कॉलेज, वाराणसी के परमानन्दपुर परिसर में हिन्दी विभाग द्वारा हिन्दी के अवसर पर बदलते परिदृश्य में हिन्दी विषयक संगोष्ठी का आयोजन किया गया। जिसमें मुख्य वक्ता के रूप में महात्मा गाँधी काशी विद्यापीठ, वाराणसी के हिन्दी विभाग के अवकाश प्राप्त प्रो० श्रद्धानन्द ने कहा कि हिन्दी के भारत आत्म गौरव और अस्मिता की भाषा है, यह बहते हुए नीर के समान है जो बदलती परिस्थितियों में औरों को अपने अन्दर समाहित कर लेती है। हमारी राजभाषा हिन्दी प्रकृति से ही समृद्ध व परिपक्व है। महाविद्यालय की प्राचार्य प्रो0 मिथिलेश सिंह ने कहा कि आने वाले समय में हिन्दी का भविष्य अत्यन्त उज्जवल है। हिन्दी साहित्य के साथ ही व्यापार व रोजगार की भाषा भी होगी। प्रो० सिंह ने विभिन्न आँकड़ों के माध्यम से हिन्दी के बढ़ते हुए और प्रगतिशील कदमों का उल्लेख भी किया। अभ्यागतों का स्वागत एवं विषय स्थापना करते हुए हिन्दी विभाग की अध्यक्ष डॉ० अर्चना सिंह ने कहा कि हिन्दी हमारी संस्कृति व संस्कार है, इसकी प्रकृति सदैव आगे बढ़ने व आधुनिकता की है। महाविद्यालय के अधिष्ठाता प्रशासन डॉ० ओ०पी० चौधरी कहा कि हिन्दी हमारे आचरण व व्यवहार की भाषा है, उन्होंने हिन्दी को समृद्ध बनाने के लिए लुप्त होते हुए देशज शब्दों के प्रयोग व संरक्षण को जरूरी बताया ।

शिक्षाशास्त्र विभाग की प्रभारी डॉ० निशा पाठक ने हिन्दी के सम्मान में काव्य पाठ किया। कार्यक्रम का संचालन हिन्दी विभाग की वरिष्ठ प्राध्यापिका डॉ० राजकुमारी रानी तथा धन्यवाद ज्ञापन डॉ० प्रतिभा ने किया। इस अवसर पर डॉ० सन्ध्या ओझा, डॉ० आभा सक्सेना, डॉ० विभा सिंह, डॉ० नीलू गर्ग, डॉ० सुमन सिंह, डॉ० पूनम श्रीवास्तव, डॉ० निमिषा सिंह, डॉ० अर्चना सिंह, डॉ० प्रिया भारतीय, डॉ० मंजरी श्रीवास्तव, लेफ्टीनेंट उषा बालचन्दानी, महेन्द्र कुमार सहित अनेक शिक्षक एवं छात्राएँ उपस्थित रहीं।