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अंधेरों को जैसे उजालों का डर है…

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अम्बेडकरनगर (अवधी खबर)। सरवरे कायनात हजरत मोहम्मद मुस्तफा सल्लललाहो अलैहे वाआलेही वसल्लम के यौमे विलादत के उपलक्ष्य में मोहल्ला मीरानपुर स्थित पक्का चौक नंबर एक के समीप जश्न ईद-ए-मिलादुन्नबी का आयोजन किया गया।
एक से बढ़कर एक नाते पाक सुन मजमा झूम उठा और बारहा कहने पर मजबूर हुआ सुब्हान अल्लाह। तिलावते कलाम पाक के बाद संचालक हाफिज मोहम्मद मुकर्रिबीन ने नातख्वानों को दावत देने से पहले अपने संक्षिप्त बयान में कहा सरकारे दो आलम पैगम्बर हजरत मोहम्मद साहब सिर्फ मुस्लिमों के नहीं बल्कि संपूर्ण मानव जाति के लिए रहमत बन कर आए। लिहाजा हम सब को भी कोशिश करना चाहिए कि हमारी वजह से किसी की भी भावना को ठेस न पहुंचे। उन्होंने नातों मनकबत का आगाज करने के लिए सर्वप्रथम मोहम्मद ईशान को आवाज दी। बालक ईशान ने नाते पाक का तोहफा पेश करते हुए कहा हमको बुलाना या रसूल अल्लाह, सुनहरी जालियों का यूं नजारा हम भी देखेंगे। क्रम को आगे बढ़ाते हुए मोहम्मद कासिद ने पढ़ा यजीदी बहत्तर से लड़ने से डरे हैं, अंधेरों को जैसे उजालों का डर है। सरफराज अहमद ने वचन दिया हम उनके टुकड़ों पे पल रहे हैं, कभी न उनसे दगा करेंगे।
अधिवक्ता मोहम्मद अजमल ने स्वर बुलंद किया
जिंदगी के लिए मुझको क्या चाहिए, शाहे कौनेन का आसरा चाहिए। मोहम्मद मुकर्रिबीन ने कार्यक्रम को गति प्रदान करते हुए कहा इमाम हो चाहे मुकतदी हो रसूल हो चाहे उम्मती हो, सभी का किब्ला सभी का काबा मेरा नबी है मेरा नबी है। महफूज अकबरपुरी ने जोश भरते हुए कहा मेरे आका के पसीने में नहाई खुशबू। मोहम्मद गाजी, शाह आलम ने भी कलाम प्रस्तुत किया। सलीत सेवक, मोहर्रम अली, मोहम्मद आलम, मोहम्मद साबिर, मोहम्मद कलीम, दानिश, राशिद, पप्पू आदि मौजूद थे।

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