Madhya Pradesh Shankarlal Soni Waterman Famous For His Service In Jabalpur – कभी पानी के लिए मिली थी दुत्कार, आज पूरे शहर की प्यास बुझाते हैं वॉटरमैन शंकरलाल सोनी
1 min readकोई उन्हें छागल वाले बाबा कहता है, कोई वॉटरमैन. मध्य प्रदेश की संस्कारधानी में 68 साल के शंकरलाल सोनी पिछले 26 सालों से एक काम बिना रूके, बिना थके कर रहे हैं- लोगों को पानी पिलाना. शहर में पारा 44 डिग्री के ऊपर है, लोग घर से नहीं निकलते लेकिन छागल वाले बाबा रोज आधारताल से ग्वारीघाट आते हैं, 18 किलोमीटर की दूरी दिन में 3 बार तय करते हैं, जबलपुर की गलियां छानते हैं, ताकि कोई प्यासा ना रह जाए, ऐसा इसलिए क्योंकि 26 साल पहले शंकरलाल जी को पानी की जगह दुत्कार मिली थी.
वो कहते हैं, “मेरा अपना अखबार मैगजीन का काम है. कई सालों पहले एक बार प्यास लगी थी लोगों से पानी मांगा किसी ने नहीं दिया. एक महिला ने तो दुत्कार दिया, 2-3 जगह ऐसे ही हुआ. एक जगह किसी ने कहा थोड़ा मीठा खा लीजिये, फिर जल दिया, मुझे बहुत अच्छा लगा. कहीं-कहीं ऐसा भी होता था कि लोग कहते थे नल चालू करके ले लो. नल जब चालू करते तो ऐसा गरम पानी आता कि शक्कर, चाय की पत्ती दूध मिला दो तो चाय बन जाती. कहीं कुछ खाया तो कुनकुना पानी दिया फिर दिमाग में आया कि क्यों ना छागल मेरे पास थी इसमें पानी लेकर निकलूं. कभी कभार लोग पानी मुझसे पानी लगे. जिन्होंने छागल का जल पिया कहा बहुत संतोष मिला. धीरे-धीरे 1 फिर 2, इस वक्त 18-20 छागल मेरे पास हैं, लोगों को पानी पिलाता हूं. बहुत संतुष्टि मिलती है.”
शंकरलाल की साइकिल पर भी दोनों तरफ तख्तियां लगी हुई है, जिनमें चलता फिरता प्याऊ लिखा हुआ है. करीब 400 लीटर पानी छागलों में भरकर लोगों की प्यास बुझाने निकल जाते हैं. जिसे भी प्यास लगी होती है वह उसे पानी पिलाते हैं. जब यह पानी खत्म हो जाता है तो फिर से स्वच्छ नर्मदा जल लेकर लोगों की प्यास बुझाने का काम शुरू कर देते हैं. लोगों का कहना है इस भीषण गर्मी में जहां प्रशासन को जगह-जगह प्याऊ बनाना चाहिए और ठंडे पानी की व्यवस्था करना चाहिए, ऐसे में ये जिम्मेदारी एक बुजुर्ग शख्स अपने कंधों पर लेकर चल रहा है. जो वाकई काबिले-तारीफ है.

जबलपुर के स्थानीय निवासी संजीव कुमार भनोत कहते हैं कि “सरकार को चाहिए शंकरलाल जी को देखते हुए कि अगर ये प्याऊ खोल दें तो समस्या कम हो जाएगी मुझे जगह जगह मिलते हैं पानी पिलाते हुए. कोशिश करते हैं कि लोग संतुष्ट हो जाएं. यह बहुत काबिलेतारीफ है. इस उम्र में पानी भरना. मुझे भी कई दफे शहर में मिल जाते हैं मैं रुककर पानी पीता हूं इतना पुण्य का काम सोनी जी से बढ़कर कोई नहीं कर सकता.”
वहीं 58 साल के कुंवरपाल सिंह कहते हैं “मैंने जब से होश संभाला है, 12 महीने 365 दिन शंकरलालजी को सेवा करते हुए देखा है, पूरी गर्मी, नौतपों से लेकर. पानी भी ऐसा नहीं कि नल से भर लिया. स्वच्छ साफ पानी पिलाते हैं ना उन्हें गर्मी लगती है, ना ठंड. भगवान उन्हें लंबी आयु दें, जो उन्होंने किया है कोई नहीं कर सकता. जबलपुर को पानी पिलाते हैं. उनके छागल का पानी हर धर्म, हर जाति सबके लिये एक सा है.”
जब आधे से ज्यादा शहर जल संकट से जूझ रहा है. ऐसे में लोगों का कंठ गीला करने के लिए शंकरलाल लगातार लगे जुटे हुए हैं, पैर सूज गया है लेकिन जज्बा नहीं. कहते हैं- “नर्मदा मैय्या साथ हैं तो कोई थकान नहीं. जब माई साथ में चल रही हैं, प्रभु साथ हैं तो थकावट कैसी, वही प्रेरणा देती हैं वहीं चलते रहते हैं.”