कुर्मी समाज ने मृत्य भोज के फिजूलखर्ची पर लगायी पाबंदी …

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कुर्मी समाज ने मृत्य भोज के फिजूलखर्ची पर लगायी पाबंदी …

पाबंदी के खिलाफ़ होने पर सामाजिक बहिष्कार या 21000 रुपये का ठोकेंगे जुर्माना ….

विजय चौधरी / सह संपादक

झारखंड। सूबे के कुर्मी समुदाय ने सुधार मंच का गठन कर समाज में व्याप्त कुरीतियों को मिटाने व लोगों को जागरूक करने का संकल्प लिया है । जिसके तहत गत दिनों करमा उत्तरी के जमुनियाटांग गांव में एक बैठक कर मृत्य भोज के फिजूलखर्ची पर कड़ा रुख अख़्तियार करते हुए बेहद कड़े फैसले का ऐलान किया । इस बैठक में कुर्मी समाज के कई प्रबुद्ध जनों ने भी भाग लिया । समाज के लोगों का मानना है कि परिजन की जब इलाज के उपरान्त मृत्य होती है तो इलाज में ही अधिकतर परिवार का वित्तीय व्यवस्था चरमरा जाती है । ऊपर से लोक लज्जा के भय से सामाजिक रीति रिवाज़ का अनुपालन मजबूरन करना पड़ता है । जिससे कई परिवार कर्ज़ में भी डूब जा रहें हैंं । इस विषम परिस्थिति से समाज को छुटकारा दिलाने के लिए इस फिजूलखर्च पर अंकुश आवश्यक है । जिसके लिए सुधार मंच नामक संगठन का गठन कर प्रबुद्ध जनों की सहमति से कुछ कायदों को पारित किये गये । जिसमें शुभ चिन्तकों द्वारा मृतक के परिजन को कफ़न न देकर आर्थिक मदद करने , दो दिन के खान पान में होने वाले खर्च में कटौती करने , बैरागी को बन्द करने , कपड़ा व चावल को बन्द कर दान पेटी में गुप्त दान एवं मृत्य भोज को पूर्णतया बन्द करने की पर जोर दिया गया । ऐसा नहीं करने वाले सदस्यों से समाज के लोगों ने सामाजिक दंड के रूप में सामाजिक बहिष्कार या 21000 रुपये का आर्थिक जुर्माना लगाने का शक्ति से निर्णय लिया है । इस निर्णय का सभी प्रबुद्ध लोगों ने सराहना करते हुए अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त की है । मुखिया शक्ति महतो , अधिवक्ता कृष्ण कन्हैया , हरिशंकर बिहारी समेत समाज के कई जगहों से लोगों ने इसकी सराहना करते हुए समर्थन में बोलते हुए बताया कि व्यक्ति कि मृत्य के उपरान्त कल्पित मोक्ष कामना की हसरत लिए समस्त कार्यक्रम का जो दिखावट अर्थात श्राद्ध कर्म के लिए नये नये कर्मकांड किये जा रहें हैंं , इस फिजूलखर्ची से समाज का एक बड़ा हिस्सा घाटे की वित्त व्यवस्था के दौर से गुजर रहा है । समाज के लोगों ने इस में सुधार का जो फैसला लिया है वह स्वागतयोग्य है । हम सभी को इसका सहयोग करना चाहिए । हमारे समाज के लोगों को जागरूक होकर इस फिजूलखर्ची से बचना चाहिए ।

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