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बीएड की प्रवेश परीक्षा बनाम बेलवा का विवाह : डॉ ओ पी चौधरी

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बीएड की प्रवेश परीक्षा बनाम बेलवा का विवाह : डॉ ओ पी चौधरी

संपादकीय। सावन का महीना,भोले बाबा का प्रवास,धरती पर चहुंओर हरियाली, कदंब की डाली पर झूला,खेतों में धान,गन्ने,मक्के आदि की लहलहाती फसलें,आसमान में उमड़ते- घुमड़ते स्याह सफेद बादल, तन-मन को भिगोती फुहारें,प्रकृति की मनोरम छटा,बहुत ही मनमोहक दृश्य। उसी में वीर रस से परिपूर्ण आल्हा का गायन,मन को आह्लादित कर देता था। आल्हा- ऊदल की वीरता को सुनाने वाले उन्हें देखे तो थे नहीं,पर वर्णन ऐसा कि हर श्रोता मनमुग्ध होकर उनके शौर्य व पराक्रम की गाथा बड़े ही चाव से सुनता था। उसी में एक प्रसंग “बेलवा के विवाह”का भी है। जैसे अकबर बीरबल के किस्सों में “बीरबल की खिचड़ी “का प्रसंग जरूर आता है,जब किसी कार्य में अनायास बिलंब होता है।
यहां हम बेलवा के विवाह का प्रसंग लखनऊ विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित होने वाली उत्तर प्रदेश संयुक्त बीएड प्रवेश परीक्षा- 2021के संदर्भ में करना चाहते हैं। 19 मई,2021 को कोरोना संक्रमण के कारण परीक्षा नहीं हो पाई। 18 जुलाई को भी नहीं हो पाई,जबकि प्रदेश के अधिकांश विश्विद्यालयों में वार्षिक परीक्षाएं संपादित हो रही हैं। पुनः 30 जुलाई की तिथि शासन द्वारा घोषित की गई। अनेक विश्वविद्यालयों ने 30 जुलाई को अपनी परीक्षाएं स्थगित कर अगस्त में नई तिथि निर्धारित कर दी। हमारा कॉलेज भी स्वायत्तशासी है,अपनी परीक्षाओं को हम लोग भी आगे ले गए,समस्त विद्यार्थियों को सूचित भी कर दिया।कल शाम को अचानक उत्तर प्रदेश शासन की ओर से एक आदेश निर्गत हो गया कि अब उत्तर प्रदेश संयुक्त बीएड प्रवेश परीक्षा – 2021, 6 अगस्त को होगी। यह संशोधित तिथि चौथी बार घोषित की गई है,जबकि कोरोना भी सरकार के मुताबिक नियंत्रण में है। फिर ऐसा परिवर्तन करके लाखों नव युवाओं को हलकान क्यों किया जा रहा है? सभी अभ्यर्थी अपने निर्धारित परीक्षा केंद्र पर पहुंचने व रुकने के ठौर ठिकाने का जब तक प्रबंध करते हैं,तब तक शासन एक आदेश निर्गत कर देता है। अब देखना यह है कि यह आदेश पूर्व की भांति अनन्तिम है या अंतिम? किंतु उन परीक्षाओं और परीक्षार्थियों का क्या होगा? जो 18 से टालकर आगे ले जाई गई थी,अभी वह कराई भी नहीं जा सकी,कि अब 30 जुलाई को होने वाली परीक्षाएं भी आगे खिसका दी गई, उनका क्या होगा?ऐसा क्यों हो रहा है? किसलिए किया जा रहा है,चाहे वे स्नातक या परास्नातक की परीक्षाएं दे रहे हैं अथवा बीएड प्रवेश परीक्षा? जो भी है परीक्षार्थियों का मनोबल गिराने वाला है। बेलवा के विवाह की तरह इसे भी लटकाया जा रहा है,अनावश्यक बिलंब से जनमानस में अनेक भ्रांतियां जन्म ले रही हैं,उन्हें दूर करना और सत्र को नियमित करना, सरकार की प्राथमिकता होनी चाहिए।शिक्षा की प्रभावशीलता तथा उसकी गुणवत्ता के लिए आवश्यक है कि ऊहापोह की स्थिति से उबरकर एक दृढ़ निश्चय कर इस परीक्षा का आयोजन किया जाय।

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डा ओ पी चौधरी
समन्वयक, अवध परिषद उत्तर प्रदेश
एसोसिएट प्रोफेसर,मनोविज्ञान विभाग
श्री अग्रसेन कन्या पी जी कॉलेज वाराणसी।

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