यहाँ पर भगवान भरोसे होता है मरीजों का इलाज
1 min readहाल टांडा के 200 बेड के एमसीएच विंग का
बेहोशी का चिकित्सक नही, कौन चलाये वेंटीलेटर
यहाँ पर भगवान भरोसे होता है मरीजों का इलाज
अम्बेडकरनगर। धरती पर चिकित्सकों को भगवान का दर्जा प्राप्त है। इसी विश्वास के तहत मरीज अपने जीवन की डोर चिकित्सक के हाथ में थमा देता हैं कि भगवान उसे ठीक कर देंगे। लेकिन आज के समय में यह विश्वास टूटता जा रहा है। टांडा का एमसीएच स्विंग में ग्रामीण क्षेत्र के मरीज सही मायने में अब भगवान भरोसे ही रह गए हैं। ग्रामीण क्षेत्र में चिकित्सक अपने कार्य के प्रति संजीदा नहीं हैं। हालांकि यह स्थिति सदर अस्पताल में नहीं है। सदर अस्पताल के चिकित्सक समय से अपनी सेवा में तैनात रहते हैं। संसाधनों की कमी चिकित्सकीय इलाज में कभी-कभी बाधा अवश्य बनती है। यह बाधा हंगामा या झड़प का रूप भी ले लेती है। कोरोना संक्रमित मरीजों के इलाज के लिए जिले में level-2 के दो अस्पतालों का संचालन किया जा रहा है जिनमें से एक महामाया राजकीय एलोपैथिक मेडिकल कॉलेज तथा दूसरा टांडा का एमसीएच स्विंग है । मेडिकल कॉलेज में 300 बेड कोविड- 19 अस्पताल स्थापित किया गया है जबकि एमसीएच विंग में 200 बेड का अस्पताल है। कहने को तो level-2 के अस्पतालों मे वेंटिलेटर की सुविधा उपलब्ध होती है लेकिन टांडा के एमसीएच विंग की जो स्थिति है वह सरकार की व्यवस्था के मुंह पर तमाचा है।
अस्पताल में किसी भी एनैस्थीसिया की तैनाती आज तक नहीं की गई है। जानकारी के अनुसार वेंटीलेटर का संचालन एनएसथेटिस्ट के द्वारा ही किया जाता है। ऐसी स्थिति में जब इस कोविड अस्पताल में कोई तैनात ही नहीं है तो वहां भर्ती होने वाले मरीजों को level-2 के अस्पताल की सुविधा कैसे प्रदान की जाती होगी। गत वर्ष ही टांडा के एमसीएच विंग को कोविड-19 का दर्जा दिया गया था। उस दौरान शासन स्तर से वहां पर बेहोशी के एक चिकित्सक की तैनाती की गई थी लेकिन पता चला है कि इस चिकित्सक को भी मेडिकल कॉलेज में भेज दिया गया है। मेडिकल कॉलेज में मौजूदा समय मे बेहोशी के दो-दो चिकित्सक कार्य कर रहे हैं।जबकि एमसीएच विंग 200 बेड का अस्पताल है लेकिन यहां पर कोई भी बेहोशी का चिकित्सक नहीं है। ऐसी स्थिति में वहां पर मरीजों को वही सुविधाएं मिल रही हैं जो जिला अस्पताल में भर्ती मरीजों को मिल रही हैं। उन्हें वँहा भी आक्सीजन के ही सहारे रखा जा रहा है। इस अस्पताल के नोडल अफसर व अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ रामानंद ने स्वीकार किया कि एमसीएच विंग में कोई भी बेहोशी का चिकित्सक नहीं है इसलिए मरीजों को वेंटीलेटर की सुविधा उपलब्ध नहीं हो पा रही है। उन्होंने बताया कि जो भी बेहोशी के चिकित्सक है वह मेडिकल कॉलेज में है। इससे साफ है कि जिले का स्वास्थ्य महकमा व सरकार कोविड-19 के इलाज के प्रति कितना गंभीर है। लेवल 2 के इस कोविड अस्पताल में मरीजो को लेवल 1 की सुविधा ही मिल पा रही है।