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स्ट्राबेरी की खेती से बहुरे किसान के अच्छे दिन ….

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स्ट्राबेरी की खेती से बहुरे किसान के अच्छे दिन ….

रिजैक्ट नहीं सेलेक्ट परसन ही अब कर सकेंगें खेती : विमलेश वर्मा

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अभिषेक चौधरी / सुल्तानपुर

सुल्तानपुर। गांवों में आज भी यह चर्चा आम है कि परिवार का कोई सदस्य यदि अपनी जिन्दगी में असफल होता तो उसके लिए खेती सबसे महफ़ूज़ और आसान मानी जाती है । यानी खेती कम अक्ल व असफल लोगों के गुजारे का उत्तम साधन हुआ करता है । पर जनपद सुल्तानपुर अन्तर्गत जयसिंह पुर तहसील के खालिस पुर दुर्गा गांव के कृषि से स्नातक विमलेश वर्मा ने उक्त सभी किंवदंतियों को झुठलाते हुए यह साबित कर दिखाया कि कृषि जगत भी हमें बेहतर व सम्मानित भविष्य दे सकती है , बशर्ते वह व्यक्ति रिजेक्टेड न होकर सेलेक्टेड हो !
विमलेश ने महज चार वर्षों में अपनी दो बीघे की खेती से एक करोड़ की पूंजी खड़ी कर ली है । जो क्षेत्र के किसानों के लिए एक प्रेरणा बनकर उभर चुकें हैंं ।
कृषि से स्नातक विमलेश अपनी पढ़ाई के उपरान्त महाराष्ट्र के पुणे की एक कम्पनी में नौकरी की जहाँ स्ट्राबेरी व शिमला मिर्च की खेती होती थी । नौकरी से मिली सीख ने विमलेश को खुद की खेती करने के लिए प्रेरित किया । अपनी चालीस हजार की नौकरी छोड़कर विमलेश ने अपने परिजनों से हठ कर दो बीघे खेत में स्ट्राबेरी , शिमला मिर्च व टमाटर की खेती प्रारम्भ की । उनका परिश्रम रंग लाया और विगत चार वर्षों में ही एक कम्बाइन मशीन , तीन ट्रैक्टर , एक भूसा बनाने की मशीन व पिकप सहित अन्य संसाधन अपनी खेती से अर्जित कर ली । प्रदेश की राजधानी लखनऊ में अपनी खेती के बदौलत कार्यालय भी खोल रखा है ।
खुद विमलेश का कहना है कि जिला कृषि अधिकारी विनय वर्मा से मिले सतत प्रोत्साहन ने हमें इस मुक़ाम पर लाकर खड़ा किया है । जिनके द्वारा समय समय पर मिले सुझाव से हम अपनी पुरानी परम्परा से इतर आगे बढ़ सके । अपनी फसल में हम रासायनिक उर्वरक की जगह जैविक उर्वरक का ही प्रयोग करतें हैंं । उनका निजी मानना है कि खेती से अच्छा भविष्य न तो व्यापार का है और न ही नौकरी का है ।

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