यतीम वो नहीं जिसका की बाप मर जाए : फ़ीरोज़ वसी
1 min read
अंबेडकरनगर। कुरान सिर्फ किताब नहीं बल्कि दर्स-ए-इंकलाब भी है। यह ज्ञान का वह भंडार है जो कभी खाली नहीं हो सकता। अल्लाह तआला ने इसमें मानव जीवन से संबंधित सभी पहलुओं का जिक्र किया है।
उक्त विचार मुंबई से आए आलिमेदीन मौलाना डॉ. सैय्यद जहीर अब्बास रिजवी ने बड़ा इमामबाड़ा मीरानपुर में डॉ. आमिर अब्बास लकी और समी अब्बास की ओर से आयोजित मरहूम डॉ. सैय्यद मोहम्मद हसन, सैय्यद नबी हसन व सैय्यद अली हसन आदि के पुण्य हेतु आयोजित मजलिस के विशेष कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने सूरा यासीन को कुरान का दिल बताया और कहा कि परवर दिगार ने कुरान को इंसानों की भलाई के लिए अवतरित किया है। लिहाजा इस्लाम धर्म के प्रत्येक मतावलंबी का नैतिक व धार्मिक कर्तव्य है कि कुरान को समझ कर पढ़े और उसपर अमलपैरा रहकर जीवन व्यतीत करे। एक घंटे के बयान में मौलाना जहीर अब्बास ने करबला की त्रासदी पर भी विस्तार से चर्चा किया। अंत में उन्होंने रसूले अकरम की नवासी जनाबे जैनब का उल्लेख किया तो वातावरण शोकपूर्ण हो गया। पेशखानी करते हुए इंजीनियर फिरोज वसी रिजवी जौनपुरी ने कहा यतीम वो नहीं जिसका की बाप मर जाए, वो है यतीम जिसमें इल्म हो न और अदब। अंजुमन मोईनुल अजा सादात दाऊदपुर ने नौहाखानी और सीनाजनी किया। सैय्यद सफदर अब्बास, वसी रजा, यासिर हुसैन, कमर अब्बास अज्मी, उमम आदि ने अतिथियों का स्वागत सत्कार किया।