टूटे दिलों का मरहम है इमाम हुसैन का ज़िक्र : मौलाना ज़हीर अब्बास
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अंबेडकरनगर। कर्बला के जांबाज बलिदानियों की स्मृति में चौथी मोहर्रम शनिवार को जनपद के विभिन्न क्षेत्रों में मजलिस, मातम और जुलूसों का सिलसिला जारी रहा। जिला प्रशासन व पुलिस मोहकमें की चाक-चौबंद व्यवस्था से शोक का प्रतीक मोहर्रम निर्बाध रूप से बीत रहा है। दिन प्रतिदिन अज़ादारों में शोक गहरा होता जा रहा है।
बड़ा इमामबाड़ा मीरानपुर से अंजुमन अकबरिया के तत्वावधान में शनिवार को चौथी मोहर्रम का प्रसिद्ध जुलूस या हुसैन की सदाओं के साथ निकल कर अपनी मंजिल पर पहुंचा। नबील अब्बास ने नौहा पढ़ा- काफिला कोई आया करबला के सहरा में, खानवादे अहमद हैं करबला के सहरा में। जबकि असरार अब्बास ने शायर कासिद अकबरपुरी तथा वसी हसन परवेज़, ताजीम, पन्नू, सादिक, काजिम आदि ने शायर शाहिद अकबरपुरी, आक़िल फ़ैज़ाबादी, शम्स अकबरपुरी, जफर अकबरपुरी, कमर अकबरपुरी, असर अकबरपुरी आदि द्वारा लिखा गया नौहा प्रस्तुत कर गमजदा माहौल में इजाफा किया। उधर जलालपुर क्षेत्र के ग्राम हजपुरा में आफताब, वसी आदि की ओर से डाक्टर सैय्यद आमिर अब्बास के संचालन में आयोजित वार्षिक मजलिस को मुंबई से आए मौलाना डॉ. सैय्यद जहीर अब्बास रिजवी ने संबोधित करते हुए कहा जिस तरह रसूल अल्लाह की रहमत संपूर्ण मानवजाति के लिए है, उसी प्रकार हजरत इमाम हुसैन का बलिदान सभी इंसानों और मानवतावादियों के लिए है। इमाम हुसैन का नाम टूटे दिलों के लिए मरहम के समान है। अंत में उन्होंने मीर अनीस के मर्सिए का बंद पेश किया- ग़मे हुसैन के दाग़ों से दिल करो रौशन, ख़बर लहद के अंधेरों की क्या नहीं रखते। सज्जाद अस्करी जमन, सिब्ते हसन, शबीब फैजाबादी ने कलाम पेश किया। मछलीगांव में अंजुमन असगरिया की ओर से चौथी मोहर्रम का जुलूस अदब व एहतेराम के साथ संपन्न हुआ। मौलाना सैय्यद नूरूल हसन ने अपने संबोधन के माध्यम से करबला के महान शहीदों की गाथा सिलसिलेवार बयान किया लोग की आंखें अश्कबार हो गई।