चार दशक बाद भी मन में बसी है आपातकाल की काली रात : रमाशंकर गुप्त
1 min read
अंबेडकरनगर। 25 जून सन 1975 की अर्धरात्रि में तत्कालीन प्रधानमंत्री इन्दिरा गांधी ने हाईकोर्ट द्वारा अपने चुनाव को अवैध घोषित किए जाने के बाद लोकतंत्र की हत्या कर देश में आपातकाल लगा दिया था। जो भारतीय लोकतंत्र के सर्वाधिक काले दिन के रूप में इतिहास में दर्ज हो गया। इमेरजैंसी के शिकार रहे लोकतंत्र सेनानी परिषद के जिलाध्यक्ष रमाशंकर गुप्त के अनुसार आज 48 वर्ष बाद भी आपातकाल का काला दिवस मन-मस्तिष्क में पूरी तरह व्याप्त है।
उनका कहना है कि स्वतंत्रता संग्राम के दौरान ब्रिटिश हुकूमत ने जो जुल्म किए थे उससे भी अधिक बर्बरता एवं क्रुर जुल्म, अन्याय तथा अत्याचार आपातकाल में हुए थे। मैं उस समय बीएन इंटर कॉलेज अकबरपुर में कक्षा 10 की पढ़ाई कर रहा था तथा छात्र युवा वाहिनी का संयोजक था। लोकनायक जयप्रकाश नारायण के आवाहन पर हम लोग सरकार के खिलाफ पोस्टर, पर्चे, बैनर, हैंडबिल आदि प्रचार सामग्री इलाहाबाद से लाते थे। जिसे तत्कालीन फैजाबाद जनपद के सभी विद्यालयों एवं सम्मानित व्यक्तियों तथा जगह-जगह गोष्टी करके तत्कालीन प्रधानमंत्री इन्दिरा गांधी के काले कारनामों को उजागर करते रहते थे। उस समय अकबरपुर विधानसभा क्षेत्र के विधायक प्रियदर्शी जेतली तथा प्रदेश के मुख्यमंत्री नारायण दत्त तिवारी थे। विधायक प्रियदर्शी जेतली की शिकायत पर पुलिस ने हमें दोस्तपुर मार्ग स्थित स्व. डॉ. रामअजोर गुप्ता के घर से गिरफ्तार कर लिया था। उस समय थाने में सरकार विरोधी गतिविधियों के कारण बेलन तक चलाया गया। उस समय मैं पढ़ाई के संग राजनीति मामा के घर रह कर के किया करता था। मुझे 14 अगस्त सन 1975 को शाम चार बजे उस समय गिरफ्तार किया गया जब मैं जायजा लेने के उद्देश्य से शहजादपुर बाजार में निकला था। जबकि आरोप यह लगाया गया था कि मैं शहजादपुर चौक में रात 12 बजे तत्कालीन प्रधानमंत्री इन्दिरा गांधी के खिलाफ पोस्टर चिपका रहा था। तथा मेरे साथ हीरालाल गुप्ता सहित अन्य लोग भी थे। मैं आठ महीने फैजाबाद जिला कारागार तथा दो महीने लखनऊ जेल में रहा। लखनऊ जेल में मुलायम सिंह यादव, बाबू भगवती सिंह, कल्याण सिंह, सीताराम वर्मा, जयशंकर पांडेय तथा फैजाबाद निवासी राममूर्ति सिंह आदि नेताओं से मुलाकात का अवसर प्राप्त हुआ उस समय मेरी उम्र मात्र 16 वर्ष थी।