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मातमी फ़ज़ाएं हैं आंसुओं का तूफ़ां है….

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अंबेडकरनगर। इस्मत की बारगाह का पर्दा पड़ा हुआ, फिक्रे नमाजे हक में कोई जागता हुआ शीर्षक से रजा अनवर, दानिश अली, बादशाह हुसैन, काजिम हुसैन आदि ने नौहा प्रस्तुत किया तो अकीदतमंदों की आंखें अश्कबार हो गईं। अवसर था बृहस्पतिवार को इमामबाड़ा मीरानपुर से अंजुमन अकबरिया द्वारा हजरत अली के बलिदान दिवस 21 रमजान पर निकलने वाले मातमी जुलूस का। इसी के साथ तीन दिवसीय शोक कार्यक्रम का समापन हुआ।
कस्बा पुलिस चौकी प्रभारी व सहकर्मियों की निगरानी में सकुशल जुलूस अयोध्या मार्ग स्थित कर्बला पहुंचा जहां मौलाना मोहम्मद अब्बास रिजवी के संक्षिप्त बयान के उपरांत तबर्रुकात अश्रुपूरित नेत्रों से दफ्न किए गए। रेहान, सज्जाद हुसैन रिजवी, रईस हुसैन, सरवर हुसैन जैदी, डॉ.आमिर अब्बास, मेहदी रजा, इम्तियाज हुसैन, यासिर हुसैन इत्यादि मौजूद थे।
शिया बाहुल्य कस्बा जलालपुर स्थित मोहल्ला जाफराबाद, मुस्तफाबाद, उस्मानपुर में मौलाए कायनात की याद में नौहाखानी और सीनाजनी के साथ जुलूस निकाले गए। मशहूर आलिमेदीन मौलाना मेहदी हसन वायज ने बारादरी-मित्तूपुर में बड़ी संख्या में मौजूद अजादारोंं को संबोधित किया। टांडा तहसील क्षेत्र अंतर्गत ग्राम मदारपुर में परवेज किरमानी आदि की ओर से आयोजित मजलिस कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मौलाना मोहम्मद आदिल रिजवी ने कहा मौला अली ने अपनी पूरी जिंदगी सादगी से गुजारी। तीन वर्ष तक कू़फे के हाकिम भी रहे लेकिन अपने सरकारी खजाने का कभी भी दुरुपयोग नहीं किया। आपने अपना जीवन गरीबों और असहाय लोगों की मदद में व्यतीत किया। मौलाना ने आगे कहा कि दुश्मनों ने अली के घर मे आग लगाकर दुनिया की पहली आतंकी कार्रवाई को अंजाम दिया था। मौला अली को 19 रमजान सन 40 हिजरी की सुबह ईराक के शहर कू़फा की मस्जिद में मलऊन इब्ने मुल्जिम ने सजदे की हालत में विष में बुझी तलवार से सर पर वार कर गंभीर रूप से घायल कर दिया था। तीसरे दिन 21 रमजान को शहादत हो गई थी।
उधर अकबरपुर विकास खंड के ग्राम ताजपुर में इक्कीसवीं रमजान के जुलूस में शामिल अंजुमनों ने नौहा पढ़ा ‘मातमी फजाएं हैं आंसुओं का तूफां है, हर तरफ उदासी है हर निगाह वीरां है’। मौलाना अली अब्बास शीराजी एवं मौलाना शौकत रजा रिजवी ने संबोधित किया। सामाजिक संस्था अलइमाम चेरिटेबल फाउंडेशन के चेयरमैन ख्वाजा शफात हुसैन एडवोकेट सहित बड़ी संख्या में लोग मौजूद थे।

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