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दामने मुस्तफ़ा की हवा चाहिए….

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अंबेडकरनगर। सरवरे कायनात रसूले करीम ने इस्लाम धर्म की स्थापना और विस्तार मानव सेवा एवं सद्व्यवहार के बल पर किया। उनका आचरण सभी के प्रति नर्म व बेहद लचीला रहा। यही कारण है हर व्यक्ति उनसे प्रभावित हो जाता था।
यह उद्वगार मौलाना मोहम्मद अब्दुल्लाह ने अकीदतमंदों को संबोधित करते हुए कहा। वह नगर के मोहल्ला मीरानपुर स्थित हुसैनी मस्जिद के करीब आयोजित मीलाद कार्यक्रम में बोल रहे थे। उन्होंने जोर देकर कहा किसी के लिए समस्या का कारण बन जाना इस्लामी कृत्य नहीं है। वास्तव में लोगों के दुःख दर्द बांटने का नाम मजहब है। मोहम्मद लारैब ने नाते पाक सुनाते हुए कहा इस लिए तो जाते हैं उम्मती मदीने में, मुस्तफा बनाते हैं जन्नती मदीने में। मोहम्मद कासिद ने कहा आपका घर खुला है या नबी मदीने में, उनके घर करूंगा मैं नौकरी मदीने में। महफूज अली ने कहा गर्मिए हश्र की ताब मुम्किन नहीं, दामने मुस्तफा की हवा चाहिए। मोहम्मद कलीम का कहना था मोहम्मद हबीब-ए-खुदा आ रहे हैं, उजाला जमाने में फैला रहे हैं। हाफिज मोहम्मद मुकर्रिबीन ने कुराने पाक की तिलावत किया। मोहम्मद सुल्तान, मोहम्मद करीम, भोनू सलमानी, सिराज अहमद, मोहर्रम अली आदि मौजूद थे।

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