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समय रहते अपने किरदार को संवारें : मौलाना इब्ने अब्बास रिज़वी

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अंबेडकरनगर। हम अपने बड़े से बड़े दुःख को गमे अहलेबैत से छोटा समझते हैं। यही हमारे गम का मदावा है। मौत हक है इससे कोई भी बच नहीं सकता है। एक दिन अपने मालिकी हकीकी के पास सभी को पलट के जरूर जाना है।
यह बात शनिवार को जाफराबाद-जलालपुर स्थित मदरसा पंजतनी मासूमीन में पत्रकार इब्ने अली जाफरी द्वारा आयोजित मरहूमा हुसैन बांदी बिंते मरहूम असगर अली के 40वें की मजलिस को खेताब करते हुए जैदपुर-बाराबंकी से आए विद्वान मौलाना सैय्यद इब्ने अब्बास रिजवी ने व्यक्त किया। सूरा नहल की आयत संख्या 97 से मजलिस का आगाज करते हुए उन्होंने अपने धाराप्रवाह बयान में कहा एक सच्चाई यह भी है कि मौत शख्सियत को नहीं, शख्स को आती है। लिहाजा समय रहते अपने किरदार को अच्छाई की शक्ल में संवारें, यही ऐसा एकमात्र जरिया है जो मृत्युपरांत भी व्यक्ति को जीवित रखने में सहायक सिद्ध हो सकता है। उन्होंने शिक्षा के माध्यम से युवाओं को मुल्क की तरक्की में अपना महत्वपूर्ण योगदान देने पर बल दिया। उससे पूर्व मोहम्मद जुहैर व हमनवा ने सोजखानी, शायर अंसर जलालपुरी, मशहद जलालपुरी तथा मेहदी जलालपुरी ने पेशखानी और मास्टर इब्ने हसन जाफरी ने संचालन किया। वसी अब्बास राजू, मोहम्मद अब्बास राजा ने व्यवस्था संभाला। मजलिस कार्यक्रम में मौलाना नूरूल हसन रिजवी, अख्तर एजाज कायमी, अतहर एजाज, मुफक्किर अब्बास, हसन अब्बास, हैदर अब्बास, इनआम जाफरी सहित अन्य लोग शामिल थे।

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