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अपने हुनर से दें राष्ट्र को नया आयाम : मौलाना शब्बर ख़ान

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अंबेडकरनगर। इस्लाम धर्म के अनुयाई दरबारी मुसलमान न बन कर सच्चे मुसलमान बनें। वह जब तक अल्लाह, कुरान, रसूल और आले रसूल के इस्लाम को नहीं अपनाएंगे तब तक न स्वयं का भला होगा न देश-दुनिया का। अपनी योग्यता का उपयोग कर देश की उन्नति में सहभागी बनें।
नगर मोहल्ला मीरानपुर स्थित बड़ा इमामबाड़ा में मरहूम शकील हैदर इब्ने शमीम हैदर के 40वें की मजलिस को संबोधित करते मौलाना मोहम्मद शब्बर खान लोरपुरी ने हुए उक्त विचार व्यक्त किया। उपस्थित जनों को मुखातिब करते हुए उन्होंने आगे कहा कि बड़ी कुर्बानियों के बाद दीने इस्लाम हम तक पहुंचा है लिहाजा इसे गंभीरता से लें। मौलाना शब्बर खान ने इमाम मूसा काजिम का विस्तार से जिक्र करते हुए कहा इमाम मूसा काजिम अलैहिस्सलाम ने विभिन्न अत्याचारी शासकों के दौर में जिंदगी बिताई। आपका युग, परिस्थितियों के हिसाब से बहुत दुखद और कठिनाइयों से भरा रहा। प्रत्येक शासक ने इमाम पर कड़ी दृष्टि रखी। लेकिन यह इमाम का कमाल था कि दुखों और कठिनाईयों के दौर में भी लोगों को ज्ञान के महत्व से परिचित कराते रहे। उन्होंने उस पाठशाला की रक्षा किया जिसकी नींव आपके पिता इमाम जाफर सादिक ने रखी थी। आपका मुख्य उद्देश्य उम्मत की इस्लाह और इल्म से आशना कराना था।

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