बेटी फ़ात्मा ज़हरा के सम्मान में खड़े हो जाते थे रसूले अकरम : मौलाना नवेद आब्दी
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अंबेडकरनगर। इस्लाम धर्म के प्रवर्तक व अंतिम पैगम्बर हजरत मोहम्मद मुस्तफा सल्लललाहो अलैहे वाआलेही वसल्लम की प्रिय बेटी हजरत फात्मा जहरा सलवातुल्लाह अलैहा के बलिदान दिवस पर अय्याम-ए-अजा शीर्षक से जनपद भर में शोक के तौर पर तीन दिवसीय मजलिसो मातम का क्रम जारी है।
इसी कड़ी में जलालपुर तहसील क्षेत्र के मौजा कजपुरा स्थित रौजा इमाम हुसैन में अंजुमन जाफरिया द्वारा आयोजित मजलिस कार्यक्रम को संबोधित करते हुए झांसी से आए मौलाना नवेद हैदर आब्दी ने कहा खातूने जन्नत बीबी फात्मा जहरा संसार की तमाम औरतों की सरदार हैं। उनकी शान निराली है। उनका महिमा इतनी अधिक थी कि खुद रसूले अकरम उसके सम्मान में खड़े हो जाते थे। लिहाजा उनका आदर सम्मान उम्मत के प्रत्येक शख्स पर लाजिम है। उन्होंने आगे कहा कि रसूले खुदा के दुनिया से विदा होने के बाद आतताईयों ने बेटी फात्मा जहरा के घर न केवल आग और लकड़ियां लेकर जमा हो गए बल्कि इस कदर जुल्मों सितम बरपा किया कि पसलियां टूट गईं और अंततः जनाबे मोहसिन के संग उनकी शहादत हो गई। यही नहीं बल्कि मौला अली के गले में रस्सियां भी डाल दिया था। यह प्रसंग सुन उपस्थित जनों की आंखें बरस पड़ीं। सोजखानी मौलाना कासिम मेहदी व हमनवा और पेशखानी शायर मुनव्वर जलालपुरी तथा जुहैर सुल्तानपुरी ने किया। अंत में अंजुमन जाफरिया ने नौहोमातम किया।