गिरता हुआ इंसान संभल जाता है…
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अंबेडकरनगर। नगर के मोहल्ला मीरानपुर स्थित बड़ा इमामबाड़ा इस्टेट लोरपुर-पीरपुर में ख्वाजा मोहम्मद हैदर शादाब आदि की तरफ से मरहूम मजहर हुसैन जाफरी इब्ने सैयद अजहर हुसैन जाफरी के 40वें की मजलिस संपन्न हुई। मौलाना नजर मोहम्मद जैनबी दिल्ली ने सम्बोधित करते हुए कहा कि मृत्यु सत्य है इससे फरार नहीं हुआ जा सकता है। दिवंगत होने वाले व्यक्ति का अधिकार सांसारिक रूप से भले खत्म हो जाता है, लेकिन उसको भेजे जाने वाले पुण्य का रास्ता हमेशा खुला रहता है। ये मजलिसे अजा मरहूमीन की रूह तस्कीन के लिए बेहतरीन जरिया है। कब्र में नमाज, रोजा, हज, जकात, कुम्भ या आमाल के बारे नहीं बल्कि मजहब के प्रति उसकी आस्था, अकीदे के संबंध में होगा। अतः अकीदे को पुख्ता रखना पहली शर्त है। अकीदे की बुनियाद पर ही वह दण्ड याद पुरस्कार का भागीदार होगा। नैय्यर हुसैन खान लोरपुरी व हमनवा ने सोजखानी करते हुए कहा जब नामे अली मुंह से निकल जाता है, गर कोहे मुसीबत हो तो टल जाता है। क्या नाम है इस नाम के सदके हो दबीर, गिरता हुआ इंसान संभल जाता है। क्या नाम है इस नाम के सदके हो दबीर, गिरता हुआ इंसान संभल जाता है। असीर जौनपुरी ने कलाम पेश करते हुए कहा इश्के अहलेबैत में जिस शख्स को आती है मौत, ब-खुदा उसको सुए फिरदौस ले जाती है मौत। हम हुसैनी हैं कभी हम मौत से डरते नहीं, हम गुलामे फात्मा जहरा से घबराती मौत। कार्यक्रम का संचालन आरिफ अनवर अकबरपुरी ने किया। उक्त अवसर पर मौलाना मोहम्मद अब्बास रिजवी, मौलाना अकबर अली वाइज जलालपुरी, सैयद जीशान जाफरी, ख्वाजा मोहम्मद अकबर सहित सैकड़ों लोग मौजूद थे।