विकास को आये भारी भरकर बजट को सफाचट कर गये प्रधान जी
भ्रष्टाचार की गिरफ्त में ग्राम पंचायत रौतापुर! चकमार्गो पर बोर्ड लगा निकाला पैसा!
“तुम्हारी फाइलों में गाँव का मौसम गुलाबी है!”
“मगर ये आंकड़े झूठे हैं ये दावा किताबी है!!
“अदम गोंडवी”
लखीमपुर-खीरी। जनपद खीरी की विकास खण्ड मितौली की ग्राम पंचायत रौतापुर में लगा है भ्रष्टाचार का दीमक! भ्र्ष्टाचार में व्यस्त प्रधान और सचिव विकास की तरफ ध्यान नही दे पा रहे हैं। लूट में व्यस्त प्रधान और सचिव रौतापुर ग्राम पंचायत के विकास का पहिया जाम कर दिया है। ग्राम पंचायत में हर तरफ लूट चालू है। यहां पर निर्माण और मरम्मत को लेकर आई राशि को खर्च को तो दिखाया गया लेकिन बिकास के नाम पर आई धनराशि लूटखसोट का शिकार हो गयी।
आपको बताते चले कि प्रदेश की सत्ता पर आसीन प्रदेश के मुखिया मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भले ही लाख दावे कर रहे हो कि प्रदेश से भ्रष्टाचार का समूल सफाया कर दिया गया है और अपराध मुक्त पारदर्शी प्रशासन की स्थापना सरकार द्वारा की गई है लेकिन या सारे दावे महज कोरी कल्पना ही साबित हो रहे हैं।
ग्रामीणो से मिली जानकारी अनुसार विकास खण्ड मितौली की ग्राम पंचायत रौतापुर में सरकार के दावों के ठीक विपरीत दिखाई पड रही हैं यहां पर अधिकारी कर्मचारी व प्रधान बेखौफ होकर भ्रष्टाचार की बहती गंगा में गोते लगाते हुए देखे जा सकते हैं क्योंकि जब जनप्रतिनिधि ही लूटेरा हो तो विकास कैसे दिखेगा!
मिली जानकारी अनुसार ब्लाक मितौली के महज दो किलोमीटर की दूरी पर ग्राम पंचायत रौतापुर जिसमे चकमार्गो पर विकास के बोर्ड लगाकर लाखों रुपये निकाल कर बन्दर बांट किया गया है वही ग्रामीणों के आंखों पर धूल झोंक कर सरकारी खजाने पर डाला गया डांका,ब्लाक की यही ग्राम पंचायत नही इसके अलावा और भी कई ग्राम पंचायतों की जांच उच्चाधिकारियों द्वारा की जाय तो वास्तविकता का पता चल जायेगा।अगस्त माह में नालों में पानी भरे होने के बावजूद कागजो पर नालों की खोदाई एवं सफाई दिखाकर सरकार के लाखों रुपयों की चपत जिम्मेदारो ने लगाई गई।
सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार ग्राम पंचायत की बात करें तो सरकार द्वारा भेजे गए करोड़ों रुपए का ग्राम प्रधान व ग्राम पंचायत अधिकारी गठजोड़ करके गटक रहे है व गरीबों के उत्थान के लिए आने वाले सरकारी धन को चट कर रहे हैं।ग्राम पंचायत आज भी अपनी दयनीय दशा की दास्तां बयां कर भ्रष्टाचार की दास्तान कह रही है।दशकों से बुनियादी सुविधाएं न होने का दंश झेल रहे हैं।