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रौशनी फर्शे अजा की यूं जहां में छा गई…

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अम्बेडकरनगर (अवधी खबर)। बड़ा इमामबाड़ा मीरानपुर में सऊदी अरब में दिवंगत हुए मरहूम नौशाद हुसैन के चालीसवें की मजलिस रविवार को इमामबारगाह मीरानपुर में संपन्न हुई। दिलशाद हुसैन व इरशाद हुसैन की ओर से आयोजित कार्यक्रम में शायर काशिफ फैजाबादी ने कलाम प्रस्तुत करते हुए कहा रौशनी फर्शे अजा की यूं जहां में छा गई, कुफ्र के भेजे हुए सारे अंधेरे खा गई। मातमे शह की सदा खुल्दे बरी तक क्या गई, सब फरिश्तों की जमाअत इन सफों में आ गई।
पहली मजलिस को संबोधित करते हुए मौलाना सैयद मुहम्मद असगर शारिब ने कहा संसार भर का मुस्लिम जगत आज हुजूर की आमद पर मरहबा कह रहा है। यह कटु सत्य है कि पैगंबर मुहम्मद साहब न होते तो हम सब को जीने का सलीका न मिलता। लिहाजा सिलेरहमी, अयादत, रक्त संबंधों के अलावा मानव मूल्यों का सम्मान और सलाम में पहल करने की आदत सहित पैगंबर मोहम्मद साहब के विचारों को पूर्णरूप से जीवन में उतारना होगा। जबकि दूसरी मजलिस को संबोधित करते हुए मौलाना गुलजार हुसैन जाफरी ने कहा रसूले खुदा ने दयानतदारी का सुबूत देकर उम्मते मुस्लिमा को जीवनशैली का नायाब फार्मूला प्रदान किया है यह भी एक नेअमत है। अलमदार हुसैन, अजहर हुसैन भोलू ने उपस्थित जनों के प्रति आभार जताया।

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