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महर्षि वाल्मीकि “रामायण” एक आदर्श महाकाव्य : डा अर्चना सिंह

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वाराणसी (अवधी खबर)। श्री अग्रसेन कन्या पी जी कॉलेज के परमानंदपुर परिसर में “आज़ादी का अमृत महोत्सव” के अंतर्गत हिंदी विभाग द्वारा महर्षि वाल्मीकि जयंती की पूर्व संध्या पर महर्षि वाल्मीकि का जीवन परिचय व साहित्य -महत्त्व विषयक विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया।इस अवसर पर हिंदी विभाग की विभागाध्यक्ष एवम प्रभारी प्राचार्य डॉ० अर्चना सिंह ने कार्यक्रम में उपस्थित सभी सम्मानित शिक्षक गण एवं छात्राओं का स्वागत करते हुए महर्षि वाल्मीकि जी के जीवन पर प्रकाश डालते हुए उनके आदिकवि बनने के संदर्भ का उल्लेख पंत जी क़ी पंक्तियों से किया -“वियोगी होगा पहला कवि आह से उपजा होगा गान ,निकलकर आँखो से चुपचाप बही होगी कविता अनजान।” साथ ही डा सिंह ने महर्षि वाल्मीकि द्वारा रचित रामायण को एक आदर्श महाकाव्य बताते हुए कहा कि श्री राम का जीवन चरित्र, आचरण, उदारता,अनुशासन,प्रेम और त्याग सभी कुछ अनुकरणीय है,यही उन्हें मर्यादा पुरुषोत्तम राम के रूप में स्थापित करते हैं।


तत्पश्चात मनोविज्ञान के विभागाध्यक्ष एवं अधिष्ठाता प्रशासन डॉ ओ पी चौधरी ने अपने वकतव्य में छात्राओं को सम्बोधित करते हुए कहा कि आदिकवि द्वारा रचित वाल्मीकि रामायण से राम के जीवन आदर्श को आत्मसात् करने की आवश्यकता है ।कार्यक्रम की इसी कड़ी में प्राचीन इतिहास विभाग की डॉ मनीषा सिन्हा ने कहा कि रामायण में उल्लिखित पात्रों के माध्यम से भारत ही नहीं अपितु विश्व में उच्च आदर्शों की स्थापना की जा सकती है ।रामायण केवल महाकाव्य ही नहीं अपितु सम्पूर्ण जीवन दर्शन है। हिंदी विभाग की डॉ पूनम श्रीवास्तव ने कहा कि महर्षि वाल्मीकि के जीवन से सीखा जा सकता है कि किस प्रकार अपनी कमियों पर विजय प्राप्त कर जीवन का आदर्श रूप प्रस्तुत किया जा सकता है। धन्यवाद ज्ञापन हिंदी विभाग की सह आचार्य डॉ आरती सिंह द्वारा किया गया ।इस अवसर पर डा मेनका सिंह, डॉ सुमन सिंह तथा अन्य विभागों के शिक्षक गण एवं छात्राएँ उपस्थित रहीं।

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डा ओ पी चौधरी
मीडिया प्रभारी

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