सज्जाद को जब यसरब में शाम का वो मंजर याद आया…
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अंबेडकरनगर। टांडा तहसील क्षेत्र के तहत ग्राम दहियावर में प्रसिद्ध वार्षिक जुलूसे अमारी कार्यक्रम सोमवार को आयोजित हुआ। प्रारंभिक तकरीर व तबर्रुकात का परिचय कराते हुए मौलाना सैयद नूरुल हसन ने कहा गमे हुसैन हम सब अजादारों के जख्मों का मरहम है, इसका कोई मदावा नहीं है। चौदह सदियां बीत जाने के बावजूद ताजगी जब की तस बनी हुई है।
वरिष्ठ आलिमेदीन मौलाना मोहम्मद कमर आबिदी ने कहा शुजाअत के साथ इताअत जरूरी है। मौला अब्बास से एक अवसर पर इमाम हुसैन ने कहा था ये मदीना है कर्बला नहीं है। वर्ना जंग का नक्शा ही कुछ और होता। गाजी अब्बास पर इमाम हुसैन, जनाबे जैनब समेत सभी को बड़ा नाज था। बाद में स्थानीय अंजमन अब्बासिया के लोगों ने नौहामातम का क्रम आरंभ करते हुए पढ़ा दुखिया जैनब आयी है। शाने हैदरी कुंदरकी मुरादाबाद के नौहाखान रईस अब्बास ने पढ़ा पीट कर सर को शहे दीं ने कहा रो रो कर, हो गया कत्ल अलमदार मेरा दरिया पर। आबिदिया नौगावां सादात के मातमी दस्ते ने पढ़ा गूंजी सरवर की सदा लुट गई दुनिया बाबा, छिद गया बरछी से अकबर का कलेजा बाबा। जावेद अब्बास और हमनवा ने विश्व प्रसिद्ध शायर रेहान आजमी का कलाम
सज्जाद को जब यसरब में शाम का वो मंजर याद आया और अयाज अब्बास ने जब रेदा सर से छिनी क्यूं न आया गाजी पढ़ कर सोमवारों को रूला दिया। संचालन आरिफ अनवर अकबरपुरी और जाहिद अब्बास ने किया। शाहिद हुसैन जैदी, अलमदार हुसैन जैदी उर्फ सोनू , मुहम्मद, अब्बास, हैदर आदि ने संभाला।