अत्याचार की प्रयोगशाला रही मैदाने कर्बला : दावर अब्बास
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अंबेडकरनगर। पैगंबर मोहम्मद साहब के नाती हुसैन इब्ने अली और यजीद इब्ने मुआविया के मध्य सन् 61 हिजरी में कर्बला की रणभूमि पर जंग का कारण राजपाट नहीं अपितु धर्म व सत्य की रक्षा करना था।
उक्त विचार गाजियाबाद से आए आलिमेदीन मौलाना सैयद दावर अब्बास ने बड़ा इमामबाड़ा मीरानपुर में व्यक्त किया। वह जाहिद अली आबिदी, आसिफ अली और फैजी आबिदी की ओर से मरहूम सैयद आबिद अली इब्ने सैयद लियाकत अली के पुण्य हेतु आयोजित वार्षिक मजलिस कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कर्बला के मैदान पर यजीदी सेना ने हरसंभव अत्याचार किए। बल्कि अत्याचार की प्रयोगशाला कहा जाए तो गलत न होगा। इमाम हुसैन के छह माह के मासूम शिशु अली असगर को पानी की जगह तीर मार कर कत्ल कर देना यजीदियों के जुल्मो सितम की पराकाष्ठा है। इमाम आली मकाम ने एक अवसर पर अपने चाहने वालों से कहा था जब भी ठंडा पानी पीना तो मेरी प्यास को जरूर याद करना। उससे पहले सैयद हसन अब्बास, मोहम्मद मीसम, दानिश अली, असरार अब्बास आदि ने पेशख्वानी किया। जबकि मजलिस समापन के उपरांत अंजुमन अकबरिया के ताजीम अली और हमनवा ने असर अकबरपुरी का कलाम फेरी असगर ने जबां या कोई शमशीर चली पेश किया। मौलाना अकबर अली वाएज जलालपुरी, मौलाना मोहम्मद अब्बास रिजवी, हाजी सज्जाद हुसैन, दिलवर हुसैन नफीस, मेहदी रजा, इम्तियाज हुसैन, डा. अज्मी, यासिर हुसैन, डा. आमिर अब्बास, असद अब्बास, सादिक अली सहित अन्य लोग उपस्थित थे।