यज़ीद जैसा बलशाली शासक भी इस्लाम का बाल बांका न कर सका : मौलाना मासूम रज़ा कैफ़ी
1 min readयज़ीद जैसा बलशाली शासक भी इस्लाम का बाल बांका न कर सका : मौलाना मासूम रज़ा कैफ़ी

अंबेडकरनगर। जलालपुर तहसील क्षेत्र के ग्राम मछलीगांव में अधिवक्ता एहसान रजा रिजवी और समाजसेवी शीबू रिजवी की ओर से इमामबाड़ा शहंशाह हुसैन में 10 दिवसीय वार्षिक मजलिस कार्यक्रम का आयोजन संपन्न हुआ। ख्यातिलब्ध जाकिरीन ने संबोधित किया। जिसमें मौलाना वसी असगर, मौलाना आसिफ रजा रिजवी, मौलाना मासूम रजा रिजवी कैफ़ी, मौलाना नूरूल हसन रिजवी, मौलाना मोहम्मद मेहदी, मौलाना हसन मुज्तबा तथा मौलाना कमर अब्बास आदि शामिल रहे।
मौलाना मासूम रजा रिजवी कैफ़ी ने अशरए मजलिस में हिस्सा लेते हुए कहा इस्लाम धर्म को हानि पहुंचाने की असफल कोशिश पैगम्बर हजरत मोहम्मद साहब के समय से ही जारी है। लेकिन अल्लाह के इस प्रिय दीन का आज तक बाल भी बांका न हुआ। पैगम्बर मोहम्मद साहब के बाद अरब का बेहद शक्तिशाली शासक यजीद इब्ने मुआविया ने शरीयते मोहम्मदी को मिटाना चाहा। शक्ति एवं प्रलोभन से वह बड़ी संख्या में लोगों से बैय्यत अर्थात समर्थन ले चुका था। मगर यजीद जानता था कि नबी के नवासे इमाम हुसैन से बैय्यत लिए बिना उसकी मंशा पूरी नहीं होगी। इमाम हुसैन ने बैय्यत से इंकार कर उसके मंसूबे पर पानी फेर दिया। हुसैन ने यजीद से साफ कहा मुझ जैसा तुझ जैसे की बैय्यत नहीं कर सकता। हालांकि बाद में इमाम हुसैन को इस इंकार के एवज में बहुत बड़ी कीमत चुकानी पड़ी। उन्होंने 10 मुहर्रम सन 61हिजरी को मैदाने कर्बला में इस्लाम को बचाने के लिए अपना भरा घर कुर्बान कर दिया। जिसके नतीजे में दीने इस्लाम हमेशा के लिए जिंदा हो गया। उससे पूर्व नासिर मेहदी एवं नक्की खान ने मरसिया पढ़ा।
अशरे की अंतिम मजलिस को मऊ जनपद से आए मौलाना वसी असगर ने पर्दे को शीर्षक बनाते हुए कहा लज्जा इस्लाम का अलंकार है।
कुरान में कहा गया है की औरतें अपने जिस्म की नुमाइश न करें और मर्द पराई औरतों को देखकर अपनी निगाहें नीची कर लें। इमाम जाफर सादिक अलैहिस्सलाम का कथन है कि अल्लाह ने इंसान को हैवान से जिस बात से अलग रखा है वह लज्जा ही है। अंजुमन असगरिया के मोहम्मद अकबर ने नौहा पढ़ा।
उक्त अवसर पर मौलाना नूरूल हसन रिजवी, मौलाना आसिफ रजा, मौलाना मसूद रजा, डॉ. जाकिर इमाम, हाशिम रजा, तौसीफ रजा, तौहीद रजा, कैसर अब्बास, मोहसिन रजा, नफीस रजा, नसीम हैदर, कमर अब्बास, मुंतजिर मेहदी, मसरूर अब्बास सहित सैकड़ों लोग मौजूद थे।