इमाम सैय्यदे सज्जाद की याद में निकला जुलूस
1 min readइमाम सैय्यदे सज्जाद की याद में निकला जुलूस

अंबेडकरनगर। अंजुमन गुंचा दहन की ओर से चौथे इमाम सैय्यदे सज्जाद की स्मृति में शुक्रवार को बड़ा इमामबाड़ा मीरानपुर से वार्षिक मातमी जुलूस निकला। लब्बैक या हुसैन के नारों के साथ जुलूस मोहल्ले की गलियों से गुजर कर पुनः इमामबाड़ा पहुंचा।
इस बीच मौलाना मोहम्मद अब्बास रिजवी एवं जर्रार हुसैन तथा मौलाना अकबर अली वाएज जलालपुरी ने संबोधित करते हुए विस्तार पूर्वक कर्बला की त्रासदी बयान किया। अंजुमन गुंचै अकबरिया मीरानपुर के नौहाखान असरार, काजिम, अर्तजा, रजी, जौन, फरहान, इमरान ने शायर कासिद अकबरपुरी के कलाम से नौहाखानी का आगाज किया। तत्पश्चात अंजुमन नासिरूल अजा बड़ागांव जौनपुर, गुलशने इस्लाम भौंरा, अजाए हुसैन जलालपुर के लोगों ने नौहो मातम का नजराना पेश किया।
सर्वप्रथम अंजुमन गुंचे अकबरिया के काजिम, अदनान, जौन, फरहान, रजी, अर्तजा आदि ने नौजवान शायर रेहान अकबरपुरी का कलाम ‘मातम है सैय्यदा के दुलारे हुसैन का’ पढ़ कर माहौल को अत्यधिक शोकपूर्ण बना दिया। इसी प्रकार अंजुमन नासिरूल अजा ने ‘अब्बास भी न रहा मेरी चादर भी छिन गई’, अंजुमन गुलशने इस्लाम ने दिलसोज नौहा ‘बचपन से ये अरमान लिए बैठी हैं सोगरा, अकबर की मैं बारात चलूंगी मेरे बाबा’ बेहद मार्मिक ढंग से पढ़ कर अजादारों को प्रभावित किया। अंजुमन के अध्यक्ष अजकिया आरिफ एवं सचिव जामिन अली ने व्यवस्था और जहबी रिजवी व जौन अब्बास ने संयुक्त रूप से संचालन का उत्तरदायित्व संभाला।
गौरा मोहम्मदपुर में जुलूसे अजा कार्यक्रम आयोजित
अंबेडकरनगर। जलालपुर तहसील क्षेत्र के तहत मौजा गौरा मोहम्मदपुर में अंजुमन सिपाहे अब्बास के तत्वावधान में जुलूसे अजा का सालाना कार्यक्रम शनिवार को आयोजित हुआ।
प्रारंभिक मजलिस को पढ़ते हुए वसीका अरबी कालेज अयोध्या के प्रवक्ता मौलाना सैयद नदीम रजा जैदी ने लोगों को इंगित करते हुए कहा जिंदगी का अंजाम अच्छा हो इस बाबत फिक्र किया करो। उदाहरण प्रस्तुत करते हुए कहा कि 10 मोहर्रम सन् 61 हिजरी तदानुसार 10 अक्टूबर 680 ईस्वी की पूर्व रात्रि यानी शबे आशूर कर्बला में यजीदी फौज के कमांडर हुर ने अपने अंजाम के संबंध में गहन चिंतन-मनन किया और पाया कि वह पथभ्रष्ट मार्ग पर हैं फिर क्या था निष्ठा बदलने में क्षण भर की देर नहीं की और इमाम हुसैन के चरणों में स्वयं को समर्पित कर दिया। जिसका परिणाम यह रहा कि वे हुर से हजरत हुर हो गए। मौलाना नदीम रजा ने नसीहत करते हुए कहा ऐसे काम करें जिससे जिंदगी के आखिरी लम्हे में वक्त के इमाम की मारिफत हो सके। अंत में उन्होंने हर एक की जान, माल, सम्मान और ईमान की हिफाजत के लिए बारगाहे इलाही में दुआ की। मौलाना नूरूल हसन रिजवी और मौलाना अली हैदर ने भी खेताब किया। अंजुमन दस्तए मासूमिया घोसी-मऊ, रौनके अजा बाराबंकी, असगरिया गाजीपुर, जीनतुल अजा अलीगढ़, नूरे इस्लाम करीमपुर ने कार्यक्रम में हिस्सा लिया।