---Advertisement---

रोज़ ये मातम होता रहेगा, यूं ही ज़माना रोता रहेगा

1 min read

रोज़ ये मातम होता रहेगा, यूं ही ज़माना रोता रहेगा

अंबेडकरनगर। खालिके कायनात का जितना भी शुक्र अदा किया जाए कम ही है, कि हम सब एक बार फिर अज्रे रिसालत अदा करने के लिए यहां जमा हुए हैं। यह विचार मौलाना सैयद मोहम्मद मेहदी आजमी ने रविवार को जलालपुर तहसील के ग्राम कटघर कमाल में अंजुमन सफीरे नासिरुल अजा के तत्वावधान में आयोजित जुलूसे अजा के वार्षिक कार्यक्रम में लोगों को संबोधित करते हुए व्यक्त किया।
उन्होंने आगे कहा कि पैगंबर हजरत मोहम्मद साहब के नवासे इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम के गम की ये तासीर है जिसका अजादार साल भर इंतेजार करते हैं। 68 दिवसीय मोहर्रम व अय्यामे अजा के दौरान दिन-रात नौहोमातम, मजलिस, जुलूस में प्रतिभाग करने के बावजूद थकन का एहसास न करना किसी चमत्कार से कम नहीं है। रोज ये मातम होता रहेगा, यूं ही जमाना रोता रहेगा। मीर तालिब अब्बास के संचालन में हुए जुलूसे अजा कार्यक्रम में अंजुमन सिपाहे हुसैनी भनौलीसादात-सुल्तानपुर, हैदरी हल्लौर-सिद्धार्तनगर, हुसैनिया जाफराबाद-जलालपुर, असगरिया कदीम अमहट-सुल्तानपुर, मोईनुल अजा सादात दाऊदपुर, असगरिया मछलीगांव एवं स्थानीय अंजुमन सफीरे नासिरूल अजा कटघर कमाल ने नौहो मातम और मौलाना मुहम्मद मश्रकैन, मौलाना कल्बे रुशैद कुम्मी, मौलाना नूरूल हसन रिजवी, मौलाना नजर मोहम्मद जैनबी, मौलाना बकी जाफरी तथा मौलाना सैयद परवेज कमाल ने अपनी प्रभावशाली तकरीर से अजादारों में करबला के बहत्तर शहीदों के प्रति जोश भरा। इमाम आली मकाम के अनुयायियों ने इमाम की सवारी के प्रतीक दुलदुल, अब्बास-ए-बावफा के ध्वज की निशानी अलम मुबारक और शबीहे ताबूत की श्रद्धा एवं विश्वास के साथ दर्शन कर पुष्प अर्पित किया।

---Advertisement---

About Author

---Advertisement---

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

---Advertisement---