किसी भी धर्म की निंदा न करें : अली असग़र हैदरी
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अंबेडकरनगर। कुछ लोग कहते हैं पैगम्बर मोहम्मद साहब हमारे जैसे हैं, जबकि रसूले खुदा ने मौला इमाम अली, इमाम हसन और इमाम हुसैन को हमेशा अपने जैसा बताया। विडम्बना है कि रसूल अल्लाह की बात उम्मत ने नहीं मानी।
उक्त विचार नगर के पेवाडा़-मीरानपुर में इम्तियाज हुसैन की ओर से शोहदाए करबला की स्मृति में आयोजित वार्षिक मजलिस कार्यक्रम में मुंबई से आए मौलाना अली असगर हैदरी ने व्यक्त किया। उन्होंने आगे कहा कि रसूले अकरम को अपने जैसा बताने की गुस्ताखी न करें, बल्कि उनके जरिए दी गई नसीहतों को अपनाने का प्रयास करें जिससे दुनिया और आखिरत संवर सके। मौलाना हैदरी ने जोर देकर कहा कि हर फिरके की दिल से इज्जत करें लेकिन इताअत यानी पैरवी अपने रसूल की करें। इस्लाम धर्म किसी अन्य धर्म को अपमानित अथवा अशोभनीय टिप्पणी करने के लिए कड़ाई से मना करता है। इंजीनियर फिरोज वसी रिजवी, मौलाना अकबर अली वाएज जलालपुरी, हाजी सज्जाद हुसैन रिजवी, सरवर हुसैन जैदी, अशफाक खान, अय्यूब खान, अन्नू सिद्दीकी, सिब्ते हसन, शाहिद रजा, बब्लू, मजहर हुसैन सहित अनेक लोग उपस्थित थे। इसी क्रम में सिरताज अली राजा, कल्बे आबिद पप्पू, मरहूम अली हैदर, तहजीब अली, मरहूम मुशर्रफ हुसैन, लाडले हुसैन और हसन अस्करी मजलिसी के अजाखाने में भी बारह मुहर्रम की मजलिसें संपन्न हुईं।