ज़ुल्मत से नूर का कोई रिश्ता नहीं हुआ….
1 min readअंबेडकरनगर। बाजिदपुर-जलालपुर में मीडियाकर्मी रहे मरहूम सैयद मुहम्मद अली इब्ने सैयद रियाज हुसैन की पहली बरसी की मजलिस सैयद इजहार हुसैन आदि की तरफ से आयोजित की गई। कुरान के पाठ से आरंभ हुए मजलिस कार्यक्रम में कलाम प्रस्तुत करते हुए शायर शबाब जलालपुरी ने कहा जुल्मत से नूर का कोई रिश्ता नहीं हुआ, बस इस लिए यजीद हमारा नहीं हुआ।
ताहिर आबिदी ने पढ़ा अपने गमों में आया जो शब्बीर का खयाल,
शिकवा बदल के शुक्र में तब्दील हो गया।
दिल्ली से आए आलिमेदीन हाफिज मौलाना सैयद जैगम-उल-गर्वी नजफी ने संबोधित करते हुए कहा इल्म के बगैर जीवन निर्रथक है। इस्लाम धर्म का प्रमुख संदेश अधिकाधिक ज्ञान प्राप्त करने के संबंध में ही है। क्यों कि शिक्षा को हर समस्या का हल बताया गया है। अंतिम पैगंबर हजरत मुहम्मद साहब ने कहा मैं इल्म का शहर हूं और अली उसके दरवाजा हैं। मौला अली अपने ज्ञान, तप, बल और बुद्धिमत्ता के कारण ही रसूले अकरम के उत्तराधिकारी बने थे। अकबर अब्बास, मौलाना मुहम्मद मीसम, मेहदी जलालपुरी, शबाब जलालपुरी, अजहर कायमी ने पेशख्वानी और अमीर अब्बास व हमनवा ने मर्सियाख्वानी किया। जाकिर इमाम, सैयद वजीर हसन, मौलाना मुहम्मद आबिद, अली अहमद, सैयद मुहम्मद आरिफ, इब्ने अली जाफरी, राशिद अंसारी, इब्ने हसन जाफरी, मुफक्किर अब्बास, शम्सुल हसन, शेर अली सहित तमाम लोग उपस्थित थे।